कलयुग का सबसे बड़ा चमत्कार कहलाता है गजानन का ये जल कुंड, जानिए कहां है?

Monday, Aug 29, 2022 - 06:18 PM (IST)

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31 अगस्त, दिन बुधवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ इस वर्ष का गणेश उत्सव आरंभ हो रहा है, जो प्रत्येक वर्ष पूरे 1 दिन तक चलता है। जिसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इस पर्व का समापन होता है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको इससे जुड़ी कई तरह की जानकारी दे चुके हैं जिसके बाद अब हम आपको बताने जा रहे हैं बप्पा से जुड़े एक बेहद चमत्कारी मंदिर के बारे में। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं विघ्रनहर्ता श्री गणेश के इस मंदिर के बारे में , क्या आखिर इसमें ऐसा चमत्कारिक क्या है जिसके कारण ये मंदिर देश के साथ-साथ विदेशों में खूब प्रचलित है। 

हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के देवास के ग्राम नागदा में अतिप्राचीन श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर के बारे में जिसका का इतिहास अपने आप में खास है। महाभारत कालीन इस मंदिर के बारे में बताया जाता है ये करीबन 5 हज़ार साल से भी अधिक प्राचीन है। इस मंदिर सिद्ध स्थलों में गिना जाता है। गजानन के इस चमत्कारिक मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। जिसमें से एक के अनुसार इसकी स्थापना महाभारत काल में राजा परीक्षित द्वारा की थी तथा पांडव भी यहां पूजन के लिए आया करते थे। इसके अलावा बताया जाता है कि जंगलों के बीचो बीच स्थित मंदिर के बारे में एक मान्यता ये भी है कि भक्तों द्वारा यहां मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। 

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आपकी जानकारी के लिए बता दें श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में गणपति बप्पा की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है, जिसके दर्शनों के लिए लोग रोज़ाना दूर दूर से आते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के यहां बप्पा के भक्तों जोरों-शोरो से इनकी पूजा करते दिखाई देते हैं। इसके अलावा यहां एक प्राचीन जल कुंड स्थित है जिसके बारे में मान्यता है कि मंदिर के सामने बने इस कुंड में पानी भी कभी खत्म नहीं होता। इसका पानी इतना सिद्ध है कि वहां आने वाला हर रोगी व्यक्ति अपने बड़े से बड़े रोगों से छुटकारा पाता है।


लोक मत के मुताबिक गणेश मंदिर में स्थित कुंड का पानी कुष्ठ रोगों तक को दूर करने की क्षमता रखता है।  हज़ारों हज़ार साल पुराने इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। वहीं यहां आने वाले भक्त मनोकामना के साथ साथ इसके इतिहास को जानने यहां पहुंचते हैं। तथा कुंड के पानी में स्नान करके अपने कष्टों व रोगों से मुक्ति पाते हैं। 


 

Jyoti

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