असुरों के दैत्य आचार्य शुक्राचार्य की नीतियां आपके लिए भी हो सकती हैं उपयोगी

Saturday, Jun 20, 2020 - 05:20 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के ग्रंथों में गुरु शुक्राचार्य का चरित्र एक चतुर नीतिकार के रूप में बताया गया है। जिस तरह आचार्य चाणक्य तथा महात्मा विदुर जी ने अपने नीति शास्त्र के द्वारा अपने ज्ञान प्रसार किया। ठीक उसी तरह आचार्य शुक्राचार्य ने भी अपनी नीतियों को लिपिबद्ध कर शुक्रनीति ग्रंथ रचना की। ऐसा कहा जाता है इस नीतिसार का जो भी व्यक्ति अनुसरण करता है, उसका जीवन बेहतर होता है। इतना ही नहीं इससे व्यक्ति का चरित्र भी सशक्त होता है। बता दें शास्त्रों इन्हें दैत्यों के गुरु भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं महर्षि भृगु के पुत्र शुक्राचार्य द्वारा बताई गई नीतियों के बारे में- 

श्लोक-
नीति: दीर्घदर्शी सदा च स्यात, चिरकारी भवेन्न हि

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ये समझाना चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में योजनाएं ज़रूर बनानी चाहिए। क्योंकि बिना योजना बनाए काम कभी सफल नहीं होता। इसलिए हर किसी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो जो कार्य करने जा रहा है पहले उसके योजना बनाए और समझ ले कि उसका परिणाम क्या होगा। इसके साथ शुक्राचार्य कहते हैं जो काम आज करना उसे आज ही करें, कभी कल पर न छोड़ें। 

श्लोक-
नीति: यो हि मित्रमविज्ञाय यथातथ्येन मन्दधिः। 
मित्रार्थो योजयत्येनं तस्य सोर्थोवसीदति

आज कल के समय में नए और अधिक दोस्त बनाने की होड़ में लोग बिना सोचे-समझे किसी को भी अपना दोस्त बना लेते हैं। ऐसा करना भविष्य में जाकर आपको ही परेशानी देता है। इसलिए शुक्राचार्य कहते हैं कि बिना सोचे-समझें किसी से भी मित्रता नहीं करनी चाहिए। मित्रता बनाने के लिए सामने वाले के गुण-अवगुण, उसकी अच्छी-बुरी आदतें ज़रूर जानना चाहिए क्योंकि सामने वाला के गुण-अवगुण हम पर असर डालती है।

Jyoti

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