खेत्री का रंग बताता है कैसा रहेगा आने वाला साल, जानें विसर्जन का शुभ मुहूर्त

Thursday, Sep 28, 2017 - 01:54 PM (IST)

नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ खेत्री बोई जाती है। अष्टमी अथवा नवमी को उसका विसर्जन कर दिया जाता है। कुछ लोग इसे मंदिर में पीपल अथवा बरगद की छाया में भी रख देते हैं। खेत्री में बोए गए जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है। जौ की खेत्री का हरा-भरा होना इस बात का प्रतीक है कि जीवन भी हरा-भरा रहे और साथ ही मां दुर्गा की कृपा भी बनी रहे। जौ बोने के पीछे एक विश्वास है कि इससे आने वाला साल कैसा रहेगा इसका पता लग जाता है। 

2 या 3 दिन में ही जौ से अंकुर निकल आते हैं लेकिन खेत्री देर से निकले तो इसका अर्थ होता है कि देवी संकेत दे रही है कि आने वाले वर्ष में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। मेहनत करने पर उसका फल देर से प्राप्त होगा।

खेत्री का रंग नीचे से पीला अौर ऊपर से हरा हो तो इसका अर्थ होता है कि वर्ष के 6 महीने व्यक्ति के लिए ठीक नहीं हैं परंतु बाद में सब कुशल मंगल होगा।

विसर्जन से पूर्व करें पूजन
विसर्जन करने से पहले माता जी के स्वरूप तथा जवारों का विधिपूर्वक पूजन करें। विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र

 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' 

से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें।

पूजन समाप्ति के उपरांत अंजली में चावल एवं पुष्प लेकर जवारे का पूजन निम्न मंत्र के साथ करें-

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।

अब खेतरी का विसर्जन कर दें, नवरात्र के नौ दिनों में खेत्री में समाई नवदुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होगा।

Advertising