साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता
Monday, May 04, 2020 - 02:12 PM (IST)
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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्याख्याकार :
स्वामी प्रभुपाद
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता
भीष्मद्रोणप्रमुखत: सर्वेषां च महीक्षिताम्।
उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरु निति।।
अनुवाद : भीष्म, द्रोण तथा विश्व भर के अन्य समस्त राजाओं के सामने भगवन ने कहा,‘‘हे पार्थ! यहां एकत्र समस्त कुरु ओं को देखो।’’
तात्पर्य : समस्त जीवों के परमात्मा स्वरू प भगवान श्री कृष्ण यह जानते थे कि अर्जुन के मन में क्या बीत रहा है। इस प्रसंग में ऋषिकेश शब्द का प्रयोग सूचित करता है कि वह सब कुछ जानते थे। इसी प्रकार पार्थ शब्द अर्थात पृथा या कुंतीपुत्र भी अर्जुन के लिए प्रयुक्त होने के कारण महत्वपूर्ण है।
श्री कृष्ण मित्र के रूप में अर्जुन को बता देना चाहते थे कि चूंकि अर्जुन उनके पिता वसुदेव की बहन पृथा का पुत्र था, इसीलिए उन्होंने अर्जुन का सारथी बनना स्वीकार किया था किन्तु जब उन्होंने अर्जुन से ‘कुरुओं को देखो’ कहा तो इससे उनका क्या अभिप्राय था?
क्या अर्जुन वहीं पर रुक कर युद्ध करना नहीं चाहता था?
श्री कृष्ण को अपनी बुआ पृथा के पुत्र से कभी भी ऐसी आशा नहीं थी। इस प्रकार श्री कृष्ण ने अपने मित्र की मन:स्थिति की पूर्वसूचना परिहास वश दी है।