श्रीमद्भगवद्गीता: जब युद्ध भूमि में अर्जुन को दिखे सभी सगे संबंधी

Sunday, May 10, 2020 - 06:25 PM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता 
यथारूप 
व्याख्याकार : 
स्वामी प्रभुपाद 
अध्याय 1

श्लोक- 
तत्रापश्यत्स्थितान्पार्थ: पितृनथ पितामहान्।
आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा।
श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि।। 26।।

अर्जुन ने सबको देखा

अनुवाद : अर्जुन ने वहां पर दोनों पक्षों की सेनाओं के मध्य में अपने चाचा-ताउओं, पितामहों, गुरुओं, मामाओं, भाइयों, पुत्रों, पौत्रों, मित्रों तथा ससुरों और शुभचिंतकों को भी देखा।


तात्पर्य : अर्जुन युद्धभूमि में अपने सभी संबंधियों को देख सका। वह अपने पिता के समकालीन भूरिश्रवा जैसे व्यक्तियों, भीष्म तथा सोमदत्त जैसे पितामहों, द्रोणाचार्य तथा कृपाचार्य जैसे गुरुओं, शल्य और शकुनि जैसे मामाओं, दुर्योधन जैसे भाइयों, लक्ष्मण जैसे पुत्रों, अश्वत्थामा जैसे मित्रों एवं कृतवर्मा जैसे शुभचिन्तकों को देख सका। वह उन सेनाओं को भी देख सका जिनमें उसके अनेक मित्र थे।              

 

Jyoti

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