श्रीमद्भगवद्गीता: अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक

Thursday, Aug 13, 2020 - 07:04 PM (IST)

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महाभारत काल के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जो न केवल उस समय अर्जुन के लिए विजय पाने में सहायक हुआ बल्कि आज के समय में यानि कलियुग में  भी मानव के लिए बहुत हद तक मददगार साबित हो सकता है। क्योंकि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इसमें श्री कृष्ण ने केवल युद्ध नही बल्कि जीवन से जुड़े लगभग प्रत्येक संदर्भ के बारे में  बताया है तो चलिए जानते हैं  इसमें वर्णन किए एक श्लोक के बारे में- 

श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप 
व्याख्याकार : 
स्वामी प्रभुपाद 
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता 

अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक 

अहो बत महत्पांप कर्तुं व्यवसिता वयम।
यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यता:।

अनुवाद : ओह! कितने आश्चर्य की बात है कि हम सब जघन्य पापकर्म करने के लिए उद्यत हो रहे हैं। राज्यसुख भोगने की इच्छा से प्रेरित होकर हम अपने ही संबंधियों को मारने पर 
तुले हैं।

तात्पर्य : स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्य अपने सगे भाई, बाप या मां के वध जैसे पापकर्मों में प्रवृत्त हो सकता है। विश्व के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं किन्तु भगवान का साधु भक्त होने के कारण अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक है। अत: वह ऐसे कार्यों से बचने का प्रयत्न करता है।   (क्रमश:)  
   

Jyoti

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