जिंदगी जीने की प्रेरणा देते हैं श्री सत्य साईं बाबा के पवित्र अमूल्य वचन

Saturday, Jun 15, 2019 - 02:17 PM (IST)

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श्री सत्य साई बाबा आध्यात्मिक गुरु थे, उनके संदेशों ने पूरी दुनिया के लोगों को सही नैतिक मूल्यों के साथ उपयोगी जिंदगी जीने की प्रेरणा देने का कार्य किया है। यहां प्रस्तुत हैं सत्य साई बाबा के पवित्र 8 वचन :

मनुष्य को सभी क्षेत्रों में कुछ नियम बनाने की जरूरत है ताकि वह अपने दैनिक कार्यक्रम के संचालन में परिपक्वता लाकर जीवन जीने की प्रक्रिया का वास्तविक निर्देशन कर सके क्योंकि ये भी आचार संहिता का हिस्सा हैं, इन्हें भी अनुशासन के रूप में देखना चाहिए।

शिक्षा हमेशा पथ को प्रकाशवान करती है। अज्ञान का अंधकार और संदेह की सांझ उसके दीप्तमान होने के पहले ही गायब हो जाती है। शिक्षा का अर्थ सिर्फ ज्ञान के संग्रह में नहीं है इसके द्वारा मनुष्य के व्यवहार, चरित्र और महत्वाकांक्षा में परिवर्तन अपेक्षित है।

अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप पसंद नहीं करते, आपके पास आए तो हमें उसमें गलत खोजने की आवश्यकता नहीं है। उस पर हंसने या उसकी अवमानना करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यही काफी है कि आप उसके आने से प्रभावित हुए बिना अपना कार्य कर सकें। उसे अपने मार्ग का पालन करने दें। उसे अकेला छोड़ दीजिए। यही व्यवहार उदासीन भाव कहलाता है अर्थात अप्रभावित होना। अगर आप इसका अभ्यास करेंगे तब आपको भगवान के लिए अपरिवर्तित प्यार प्राप्त होगा। यह व्यवहार आपको चिरस्थायी शांति, आत्म नियंत्रण और मन की शुद्धता भी प्रदान करेगा।

पर्वत की चोटियों पर बारिश होती है और पानी सब तरफ से नीचे की ओर बहता है। उससे किसी नदी का निर्माण नहीं होता, लेकिन जब पानी एक दिशा में बहता है तो पहले नाले का निर्माण होता है, फिर धारा बनती है। उसके बाद एक तेज धार के साथ नदी का निर्माण होता है जो अंत में जाकर समुद्र में मिल जाती है। इसी प्रकार हमारा मन हमेशा पवित्र विचारों की ओर बहता रहना चाहिए। आपके हाथ हमेशा अच्छे कर्मों में लगे रहने चाहिएं।

हृदय के दोष को नैतिक जीवन जीकर दूर किया जा सकता है, यही मनुष्य का कर्त्तव्य है। एक समय आता है जब आप थक या कमजोर पड़ जाते हैं, तब आपको प्रार्थना करनी चाहिए। शुरूआत में भगवान दूर से आपके प्रयासों को देखते हैं फिर जब आप अपने लगाव के बहाने आनंद और अच्छे कामों और सेवा में लग जाते हैं, परमेश्वर पास आकर प्रोत्साहित करते हैं। भक्त के लिए भगवान सूर्य की तरह होता है जो बंद दरवाजे के बाहर इंतजार कर रहा है।

आजकल ज्यादातर भक्त स्वार्थी हैं। उनमें केवल स्वार्थ भक्ति (लाभ के लिए भक्ति करना) होती है। वे सिर्फ अपनी खुशी के लिए ही चिंतित होते हैं न कि परमेश्वर के लिए। जबकि प्यार हमेशा शुद्ध हो। भगवान प्रेम के प्रतीक हैं, ऐसा दिव्य प्रेम सभी में मौजूद है। सभी के साथ अपना प्रेम बांटें। प्रभु आपसे यही उम्मीद करते हैं।

सच्चा भक्त वही है जो भगवान की खुशी को अपनी खुशी मानता है। वह हमेशा भगवान को खुशी देना चाहता है, उनके लिए किसी असुविधा का कारण बनना नहीं चाहता। यह मान कर चलना चाहिए कि भगवान की खुशी में ही आपकी खुशी है और आपकी खुशी में भगवान की। एकता की इस भावना को आत्मसात कीजिए।

जैसे ही तुम थोड़ा-सा दरवाजा खोलते हो सूरज की रोशनी तुरंत भीतर से अंधेरे को बाहर कर देती है इसलिए जब भी भगवान से मदद मांगी जाती है, वह आपकी ओर सहायता के लिए हाथ बढ़ाए मौजूद होता है।


 

Niyati Bhandari

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