जब श्री राम ने मकर संक्रांति पर उड़ाई पतंग...

Sunday, Jan 13, 2019 - 09:54 AM (IST)

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हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार इस बार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। भारत के अलग-अलग देशों में इस पर्व को अलग तरीके से मनाया जाता है। कई लोग इस दिन पतंग बाजी भी करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें बताया है कि श्री राम ने अपने भाइयों संग मिल के पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में 'बालकांड' में उल्लेख मिलता है-

'राम इक दिन चंग उड़ाई।
इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।'

पंपापुर से जब हनुमान जी को बुलवाया गया था, तब हनुमानजी बालरूप में थे। जब वे वहां आए, तो मकर संक्रांति का पर्व था। तभी श्रीराम अपने भाइयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ाने लगे। पौराणिक कथा के अनुसार वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुंची। उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गई। वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगी-

'जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई।।'

इस तरह के भाव मन में आते ही उसने पतंग को पकड़ लिया और सोचने लगी कि पतंग उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए जरुर आएगा और इसी सोच में वह प्रतीक्षा करने लगी। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए भेजा।

जब पवनपुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंचे तो वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए है। उन्होंने उस पतंग की उनसे मांग की।

उस स्त्री ने पूछा- 'यह पतंग किसकी है?'

हनुमानजी ने रामचंद्रजी का नाम बताया। इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की। हनुमानजी यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को सुनाया। श्रीराम ने यह सुनकर हनुमानजी को वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमानजी ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी।

इस पर कथन है कि-

'तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग।
खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग।।'

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