निकुंज सेवा महोत्सव में पंच सेवा करने की होड़

Tuesday, Jul 05, 2022 - 04:29 PM (IST)

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मथुरा: राधारमण मन्दिर वृन्दावन में इन दिनों चल रहे निकुंज सेवा महोत्सव में भक्तों द्वारा पंच सेवा करने की धूम मची हुई है। ठाकुर का आशीर्वाद भक्तों को दिलाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रसाद वितरण हो रहा है, वहीं मन्दिर में नित नए फूल बंगले,नवीन झांकी, नवीन पोशाक, नवीन भोग और नवीन राग सेवा करने की भक्तों में होड़ लगी हुई है।

मन्दिर के सेवायत आचार्य एवं ब्रज की विभूति आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी में मंगलवार को बताया कि मन्दिर में देवशयनी एकादशी की व्यापक तैयारियां होे रही है। इस बार यह पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन ठाकुर को भेाग में नाना प्रकार के व्यंजन अर्पित किये जायेंगे तथा पूरे दिन भर भक्तों में प्रसाद का वितरण होगा।

उन्होंने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद सांसारिक मंगल कार्य रूक जाते हैं मगर लोक कल्याणकारी धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य इन्ही चार महीनों में होते हैं। जन्माष्टमी, राधाष्टमी, रक्षाबंधन, श्रावणी, नव दुर्गा, दशहरा, दीपावली आदि सभी उत्सव देवशयन काल में ही होते हैं। उनका कहना था कि जगत के लिए जो अमंगलकारी कार्य का समय है वही भगवत आराधना के लिए मंगलकारी कार्य समय है।

इस दौरान विवाह आदि इसलिए बन्द हो जाते है कि लोगों को जगत का कार्य बन्दकर विधि विधान से प्रभु की भावपूर्ण सेवा करने का अवसर दिया जाता है जो इस अवसर का सही उपयोग करते हैं उनके लिए मोक्ष का द्वार खुल जाता है और जो इसका उपयोग नही कर पाते उन्हें बार बार विभिन्न योनियों में जन्म लेना पड़ता है। आचार्य ने बताया कि देवशयनी एकादशी के इसी महत्व के कारण इस दिन के लिए ठाकुर के लिए व्यंजनों की तैयारी शुरू हो गई है।

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वैसे तो भक्त मन्दिर में आकर भगवत दर्शन करते ही हैं और लाड़ लड़ाते ही हैं लेकिन कुछ समय पहले ही दो विशेष यात्राए जल यात्रा और रथ यात्रां हुई। इन यात्राओं में भगवान ने मन्दिर से बाहर निकलकर बिना किसी भेदभाव के भक्तों को दर्शन सुलभ कराया था उस समय न केवल समूचा वृन्दावन सड़कों पर आ गया था बल्कि देश के कोने कोने से आए भक्तों ने ठाकुर के इस प्रकार के अनूठे दर्शन कर स्वयं को धन्य किया था।

कुछ मन्दिरों में मर्यादा के कारण मुख्य विगृह मन्दिर से बाहर नही निकलकर आए तथा उन में मन्दिर के जगमोहन में ही इन दोनो त्योहारों का आयोजन किया गया था। रथ यात्रा पर तो राधारमण मन्दिर में एक हजार एक आमों का भोग ठाकुर को अर्पित किया गया था और बाद में इसका वितरण भक्तों में किया गया था।

सेवायत आचार्य का कहना था कि निकुंज उत्सव में इस मन्दिर में केले के तने के कोमल छिलकों का अनूठा बंगला नित्य तैयार किया जा रहा है।

भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार पंच सेवा भावपूर्ण तरीके से इस उम्मीद से कर रहे हैं कि भावपूर्ण सेवा करने के कारण ठाकुर ने जिस प्रकार गोपाल भट्ट गोस्वामी को न केवल आशीर्वाद दिया बल्कि उनकी इच्छा के अनुरूप ही तीन मन्दिरों के विगृह का समावेश राधारमण महराज के विगृह में कर दिया था उसी प्रकार उनके जीवन में ठाकुर सेवा के प्रति ऐसा भाव पैदा हो जाय कि उनका जीवन न केवल धन्य हो जाय बल्कि मोक्ष के द्वार उनके लिए खुल जांय। मन्दिर में चल रहे निकुंज उत्सव में वृन्दावन का कोना कोना इस प्रकार आध्यात्मिकता से परिपूर्ण हो गया है कि वर्तमान में भक्ति यहां पर नृत्य कर रही है।  

 

Jyoti

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