श्री कृष्ण को करें प्रसन्न इस स्तुति के पाठ से

Tuesday, Apr 18, 2017 - 01:35 PM (IST)

श्री कृष्ण सर्वगुणाधार हैं। उनका सतत् ध्यान करने से मनुष्य का कल्याण होता है और उन्हें भूल जाने से ही जीव की दुर्गति होती है। भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) द्वारा प्रदत्त गीता का ज्ञान, तो दूसरी ओर बंसी की तान, से मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी सम्मोहित हो गए। वह श्याम वर्ण होने पर भी सौंदर्य की खान हैं। इसी से उनका दूसरा नाम श्यामसुंदर भी है। वह दीन-दुखियों पर दया तो करते ही हैं पर दुष्टों के दमन में भी देर नहीं लगाते। श्री कृष्ण अपराजेय, अपराजित, विशुद्ध, पुण्यमय, प्रेममय, दयामय, दृढ़कर्मी, धर्मात्मा, वेदज्ञ, नीतिज्ञ, धर्मज्ञ, लोकहितैषी, न्यायशील, क्षमाशील, निरपेक्ष, निरहंकार, योगी और तपस्वी हैं। वह मनुष्य रूप से इस पृथ्वी पर आकर जगत के उद्धार के लिए दिव्य सुंदर लीलाएं करते हैं तथा उनका चरित्र अलौकिक है और सम्पूर्ण प्राणीमात्र के लिए श्रवणीय एवं वंदनीय है। महाभारत के समय जिस तरह श्रीकृष्ण ने अर्जुन का सारथी बनकर उनका हर तरह से साथ दिया, ठीक वैसा ही साथ आप भी चाहते हैं तो करें इस स्तुति का पाठ, आत्मिक रूप से सदा वह रहेंगे आपके साथ 

 
श्री कृष्ण स्तुति


श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥

सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥

मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥

वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥

॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥

Niyati Bhandari

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