Janmashtami 2019: अपने भक्त की खुशी के लिए श्री कृष्ण बन गए किन्नर
Thursday, Aug 22, 2019 - 03:08 PM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
श्री कृष्ण का नाम सुनते ही हम सबके मन में एक सुंदर सी नटखट छवि बन जाती है जो आंखें के आगे आते ही चहरे पर मुस्कान ले आती है। शास्त्रों में इनके स्वरूप का वर्णन ही कुछ इस प्रकार किया गया है। अपने बचपन से ही इन्होंने ऐसी कई लीलाएं की है जो आज भी हमारे प्ररेणा के स्त्रोत जैसा काम करते हैं। कहते हैं किसी ने इनकी लीलाओं से जीवन का सार जाना तो किसी ने इनके लीलाओं से प्रेम का असल अर्थ जाना है। तो वहीं इन्होंने अपनी कुछ लीलाओं द्वारा संसार में चल रहे कपट और प्रपंच को हराया है। जन्माष्टमी के इस खास मौके पर हम आपको इनसे जुड़ा एक ऐसा ही प्रसंग बताने जा रहे हैं जिसमें श्री कृष्ण ने एक ऐसी अद्भुत लीला रची थी कि अगर आप सुनेंगे तो शायद दंग रह जाएंगे।
तो आइए अधिक देर न करते हुए जानते हैं इस प्रसंग के बारे में-
आप में शायद बहुत से लोग जानते होंगे कि श्री कृष्ण ने प्राचीन लीलाओं को अंजाम देने के लिए कई रूप धारण किए थे। मगर क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण ने दो बार अपने जीवन में किन्नर का रूप भी धारण किया था। एक बार उस वक्त जब वह प्यार की मजबूरी में थे और एक बार धर्म की रक्षा के लिए। पहले किस्से के बारे में तो लगभग शायद सभी लोग जानते हैं। इसलिए आज हम आपको बताने वाले हैं इससे जुड़ा दूसरा किस्सा-
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महाभारत युद्ध के वक्त पाण्डवों की जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न करना था, जिसके लिए राजकुमार की बलि देनी थी। इस दौरान अर्जुन के अपने पुत्र इरावन ने कहा कि वह अपना बलिदान देने को तैयार है लेकिन उसकी एक शर्त है। जो इस प्रकार है कि वह केवल एक दिन के लिए विवाह करना चाहता था। अब ज़ाहिर सी बात है अब एक दिन के लिए भला कौन सी कन्या तैयार होती। तो इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डवों को विजयी कराने के लिए किन्नर का रूप धारण किया और इरावन से शादी रचा ली। अगले दिन इरावन की बली दे दी गई। बता दें आज भी तमिलनाडु के कोथांदवर मंदिर में इस परंपरा को किन्नरों द्वारा निभाया जाता है। इस परंपरा के अनुसार किन्नर अपने देवता इरावन से शादी करते हैं और अगले दिन विधवा हो जाते हैं।
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