ये है उत्तरप्रदेश का एकमात्र श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, आप भी करें दर्शन

punjabkesari.in Friday, Dec 10, 2021 - 06:05 PM (IST)

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हमारे देश के लगभग हर कोने में कोई न कोई हिंदू मंदिर स्थित है बल्कि कहा जाता है भारत एक ऐसा देश है जहां अनगिनत हिंदू मंदिर है। इन्हीं से एक है वृंदावन, जिसे मंदिरों का नगर कहा जाता है। बता दें ये उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है, जिसका अपना धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है। बताया जाता है कि पूरा वृंदावन भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से भरपूर है, इसलिए इसे श्री बाल गोपाल का लीला स्थल माना जाता है। तो वहीं यहां अन्य कई धार्मिक स्थल हैं, जो इसकी प्रसिद्धि व प्राचीनता का कारण है। आज हम आपको वृंदावन में स्थित एक ऐसे ही मंदिर .या कहें मठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस उत्तरप्रदेश का एकमात्र गौड़ीय मठ कहा जाता है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी अन्य जानकारी-

यूं तो वृंदावन में स्थित प्रत्येक मंदिर प्रसिद्ध है, परंतु बात करें अगर वृंदावन में स्थित श्री चैतन्य महाप्रभु राधा माधव मंदिर की तो इसका अपना अलग महत्व है। बताया जाता है कि ये मंदिर गौड़ीय सम्प्रदाय से संबंधित है, जिसकी स्थापना श्री चैतन्य महाप्रभु जी के पार्षदों ने की थी। यहां के निवासियों द्वारा बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना अमृतसार के निवासी "श्री लाला श्री साई दास जी बिजली पहलवान" की सेवा से करवाई गई थी। हालांकि इसकी मुख्य संस्था चंडीगढ़ हेड ऑफिस में है, जिसके संस्थापक "श्री श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज" है। कहा जाता है कि श्री चैतन्य महाप्रभु गौड़ीय मठ उत्तरप्रदेश का एकमात्र मठ माना जाता है। 

बाल गोपाल की दिनचर्या- 
प्रत्येक सुबह 04.00 बजे यहां ठाकुर जी की विधि वत रूप से मंगला आरती की जाती है, जिसके बाद ठीक प्रातः 5.00 बजे इन्हें माखन मिश्री का पहला भोग लगाया जाता है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार इसे बाल भोग कहते हैं। फिर मंदिर के पुजारी भक्तों संग हरि नाम करते हुए मंदिर के परिक्रमा करते हैं। बाल भोग तथा मंदिर में साफ-सफाई के बाद बाल गोपाल का लुभावना व मनमोहक साज-श्रृंगार किया जाता है। रोज़ाना बाल गोपाल का विधि वत रूप से अभिषेक कर उन्हें 12 बजे राजभोग लगाने के बाद विश्राम करवाया जाता है। जिसके बाद सायं में उन्हें भजन कीर्तन करके  उठाया जाता और करीबन  07.30 बजे ठाकुर जी को रात का भोग लगाकर 08.30 बजे शयन आरती संपन्न होती है। इसके बाद बाल गोपाल जी शयन अवस्था में चले जाते हैं। जानकारी के लिए बता दें इस समय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ की देखरेख भक्ति उज्जवल महाराज जी के हाथ में है, जो पूर्ण रूप से इस मठ का संचालन करते हैं। 


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Content Writer

Jyoti

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