श्रावणी अमावस्या: पितृ दोष से चाहते हैं बचना तो करें ये उपाय

Tuesday, Jul 20, 2021 - 07:12 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक माह में एक बार अमावस्या तिथि आती है, जिसका अर्थ ये हुआ है कि पूरे वर्ष में कुल 12 अमावस्याएं तिथियां पड़ती हैं। श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को श्रावणी व हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। तो वहीं महाराष्ट्र साइड में इस गटारी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बात करें श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को यहां चुक्कला कहा जाता है तथा उड़ीसा में चितलागी अमावस्या कहते हैं। धार्मिक शास्त्रों में पितृ देव को अमावस्या तिथि के स्वामी कहा जाता है। जिस कारण इस दिन जातक अपने कुंडली में पैदा पितृ दोष से मुक्ति पा सकता है। तो आइए जानते हैं पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को कौन से उपाय करने चाहिए। 
 
शास्त्रों में बताया गया है कि श्रावण मास की अमावस्या तिथि को पौधा या वृक्षारोपण करना शुभ होता है। इस दिन खासतौर पर आम, आंवला, पीपल, वटवृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन वृक्ष रोपण करने से ग्रह नक्षत्र को शांति मिलती है तथा पितृदोष भी शांत होते हैं।

ये तो लगभग लोग जानते हैं कि श्रावण के मास में देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। कहा जाता है श्रावण मास की हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव जी का पूजन-अर्चना करने से पितृदोष से शांति मिलती है।

हरियाली अमावस्या के दिन व्रत करने का अधिक महत्व होता है। कहा जाता है व्रत करने से हर तरह के रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। पितरों के निमित्त वृत करने से पितृदोष शांत होते हैं। अगर संभव हो तो इस दिन ब्राह्मण भोज करवाएं। 

शास्त्रों के अनुसार इस दिन पितृसूक्त पाठ, गीता पाठ, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच का पवित्र पाठ या पितृ देव चालीसा और आरती करनी चाहिए। 
 

Jyoti

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