Shraddha Rituals in Pitru Paksha: श्राद्ध में कराया गया भोजन पितरों तक कैसे पहुंचता है
punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 02:01 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shraddha Rituals in Pitru Paksha: इस आधुनिक युग में अविश्वासी व नास्तिक लोग धर्म, कर्म, श्रद्धा, भक्ति-भाव में कम विश्वास करते हैं। वे समझते हैं कि ये पूजा-पाठ, कर्म-धर्म, यज्ञ-अनुष्ठान, तर्पण-श्राद्ध, पिंडदान, देवी-देवताओं का अनुष्ठान, सब व्यर्थ के प्रपंच हैं। कोई भी शुभ-अशुभ नहीं। जो वर्तमान में करें- वही सही है। अभी का किया हुआ कर्म पूर्वजों को नहीं मिलता पर ऐसा नहीं है।
इस पर विचार करके देखा जाए तो ये सारे कर्म, धर्म अनुष्ठान लौकिक दृष्टि से सब सही हैं। इन शुभ कार्यों का फल भी अवश्य मिलता है, किसी को शीघ्र तो किसी को देर से, पर है सत्य।
इतनी पूजा, प्रार्थना, आरती, हवन-यज्ञ, तीर्थाटन व समय-समय पर ईश्वरीय अवतारों के दर्शन विभिन्न देवी-देवताओं के रूप में होते हैं। ऐसी अनेक आश्चर्यजनक शक्तियां, सभी कार्य मनोरथ पूरा करने में सक्षम हैं। श्री गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश भगवान की पूजा, जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण व्रत-अनुष्ठान, शिवरात्रि पर शिवाराधना, नवरात्रि पर देवी माता की घट स्थापना, बसंत पंचमी पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का स्मरण, दीवाली पर मां लक्ष्मी पूजन, सद्गुरु टेऊंराम जयंती पर सद्गुरु महाराज जी का विशेष पूजन, अर्चना, चालीहा अनुष्ठान आदि की समय-समय पर पूजा-अर्चना होती है, जिससे कइयों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इन सबके मूल में भी आस्था-विश्वास ही हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि ये सभी धार्मिक कर्म सत्य हैं। अविश्वासी वर्ग के लिए अनेक प्रमाण संसार में सर्वत्र मौजूद हैं। गंगा मैया का जल- जो कभी खराब नहीं होता। ज्वाला देवी मंदिर में अभी भी ज्वाला का जलना। अमरनाथ में स्वत: ही बर्फ का शिवङ्क्षलग बन जाना।
प्रत्येक व्यक्ति अपने पूर्वजों की तिथियों के अनुसार ब्राह्मणों, कन्याओं को भोजन करवाते हैं या फिर मंदिर एवं धार्मिक स्थलों पर भोजन प्रसाद देते हैं। साथ ही गौमाता या कौए को भी खिलाया जाता है।
हर व्यक्ति अपनी श्रद्धानुसार अपने पूर्वजों के निमित्त शुभ कर्म करता है और यह सत्य है कि ब्राह्मण, गाय, कौवों को कराया गया भोजन पितरों तक पहुंचता है।
श्री प्रेम प्रकाश मंडल के चतुर्थ पीठाधीश्वर परम पूज्य सद्गुरु स्वामी हरिदासराम जी महाराज श्राद्ध कर्म को प्रमाणित कर कहते थे -
‘‘जैसे फैक्स मशीन में हम कागज डालते हैं तो जो भी उस कागज में लिखा होता है- वह ज्यों का त्यों भेजे गए स्थान पर वैसा ही लिखा हुआ पहुंच जाता है, चाहे वह सात समुद्र पार ही क्यों न हो! न कोई तार, न कोई यंत्र! फिर भी जैसा का तैसा छप जाता है! ऐसे ही मृत्युलोक में किया गया श्राद्ध कर्म या कोई भी शुभ कर्म परलोक में भी अपने पितरों को पहुंचता है। ये सारा कार्य ईश्वरीय शक्ति द्वारा होता है। अत: हमें श्रद्धा-विश्वास के साथ सभी शुभ कार्य करने चाहिएं।’’
शास्त्रों में लिखा है कि पितर लोग श्राद्ध से तृप्त होकर आयु-विद्या-यश, धन, स्वर्ग- मोक्ष इत्यादि सभी सुखों का हमें आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध चन्द्रिका में आता है कि श्राद्ध की तनिक भी वस्तु व्यर्थ नहीं जाती, आगे चलकर फलीभूत होती है। जो लोग बड़ों के निमित्त श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म करते हैं, उनके कुल-परिवार में कोई भी क्लेश-बाधा नहीं आती और उनकी आत्मा को शांति भी मिलती है।
जो कोई भी शुभ कर्म हमारे शास्त्रों में बताए गए हैं, वे सभी सत्य हैं। वेद-विधि के अनुसार हम सबको पुण्यमयी शुभ कार्य निरंतर करते रहना चाहिए, जिससे लोक-परलोक दोनों संवरेंगे और घर-परिवार में सदैव सुख-समृद्धि व खुशहाली बनी रहेगी।