घर पर ही इस विधि से करें अपने पितरों का श्राद्ध

Monday, Sep 16, 2019 - 04:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ             
हिंदू धर्म में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए ही श्राद्ध कर्म किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार अगर कोई श्राद्ध नहीं कर पाता तो उसके घर अशांति के साथ-साथ दरिद्रता भी आ जाती है। इसलिए हर किसी के लिए श्राद्ध करना अनिवार्य होता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त सामर्थ्य के अनुरूप पूरी विधि से श्राद्ध करने वाले की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे में अगर आप किसी नदी के किनारे श्राद्ध नहीं कर पाते तो घर पर ही श्राद्ध कर सकते हैं। 

घर पर इस तरह करे श्राद्ध 
सुबह स्नान के बाद घर की सफाई करें। गंगाजल और गौमूत्र को पुरे घर में छिड़के। दक्षिण दिशा कि तरफ मुंह करे और बांए पैर को मोड़कर कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के बर्तन में तिल, दूध, गंगाजल और पानी रखे। उस जल को हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिरा दें। पितरों का ध्यान करते हुए ऐसा लगतार 11 बार करें। 

घर के आंगन में रंगोली बनाने की प्रथा भी है। महिलाएं पितरों के लिए भोजन बनाएं। ब्राह्मण को न्यौता देकर बुलाएं। निमंत्रित ब्राह्मण के पैर धोकर उन्हें भोजन करवाएं और इस समय पर पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए।

पितरों के लिए खीन बनाएं और बनी खीर को अग्नि में अर्पण करें। ब्राह्मण भोज से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री निकाल लें।

दक्षिण दिशा कि तरफ मुंह रखकर  कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प लें और श्रद्धानुसार एक या तीन ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

भोजन के उपरांत सामग्री दान करें जिसमें तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक प्रमुख है। ब्राह्मण वैदिक पाठ करें और गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं दें। 

Lata

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