धन कुबेर बना देते हैं ये देव

Tuesday, Jun 23, 2020 - 01:15 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shiva shambhu shankar: शिव त्रिलोकेश रूप में भी पूजनीय हैं जिनकी आराधना जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करती है। पुराणों में शिव महिमा उजागर करती है कि काल पर शिव जी का नियंत्रण है इसलिए शिव ‘महाकाल’ पुकारे जाते हैं। ऐसे शिव स्वरूप में लीन रह कर ही काल पर विजय पाना संभव है। संसारिक जीवन के नजरिए से शिव एवं काल के संबंधों में छिपा संकेत यही है कि काल अर्थात समय का सम्मान करते हुए इसके साथ बेहतर तालमेल व गठजोड़ ही जीवन और मृत्यु दोनों ही स्थितियों में सुखद है। 

इसके लिए शिव भाव में रम जाना ही महत्वपूर्ण है। शिव भाव से जुड़ने के लिए वेदों में आए शिव के अलावा अन्य दो नामों शम्भू व शंकर के अर्थों को भी समझना जरूरी है।

शिव को बुद्धिमत्ता, प्रकाश और रोशनी का प्रतीक माना जाता है। वह संसार के रचयिता हैं। वेदों के अनुसार शम्भू मोक्ष और शांति देने वाले हैं। वही शंकर शमन करने वाले और शिव मंगल तथा कल्याणकर्ता शिवभक्त वत्सल हैं, इसलिए भगवान शिव की पूजा सौभाग्य वृद्धि करती है। 

इस तरह शम्भू नाम यही भाव उजागर करता है कि सुकून के लिए अच्छी भावनाओं और कामों को ही अपनाएं। इनसे मन भय और शरीर रोगों से दूर रहेगा और मनचाहे लक्ष्य को पाना संभव होगा।

शंकर का अर्थ है शमन करने वाला। इस नाम का स्मरण यही भाव जगाता है कि मन को हमेशा शांत, संयमित व संकल्पित रखें, ठीक शंकर के योगी स्वरूप की तरह। संकल्पों में मन को लगाए रखने से समस्त कलहों का शमन अर्थात शांति होती रहेगी। इससे सफलता का रास्ता भी साफ दिखाई देगा। 

शम्भू और शंकर के साथ शिव नाम का अर्थ और भाव है मंगल या कल्याणकारी। इसके पीछे कर्म, भाव व व्यवहार में पावनता का संदेश है जिसके लिए जीवन में हर तरह से पवित्रता, आनंद, ज्ञान, मंगल, कुशल व क्षेम को अपनाएं, ताकि अपने साथ दूसरों का भी शुभ हो।

भगवान शिव को आशुतोष भी कहते हैं। आशुतोष का अर्थ होता है तुरन्त प्रसन्न होने वाले या तत्काल तुष्ट होने वाले देवता। शिव शर्व भी पुकारे जाते हैं अर्थात सभी कष्टों का हरण करने वाले जिनमें बुरे कर्म और दुष्टों का नाश प्रमुख है। यही कारण है कि सावन में की गई शिवभक्ति शत्रु बाधा के अंत के लिए अचूक मानी गई है। नीलकंठ नाम की महिमा वचनों में कटुता से बचने तथा धैर्य और संयम की सीख देती है। 

गंगाधर स्वरूप मन-मस्तिष्क में पावन विचारों को प्रवाहित करने की प्रेरणा है। भगवान शिव कुबेर के स्वामी माने गए हैं। इसलिए शिव भक्ति धन कुबेर बना देगी। शिव नाम के साथ जब मंगल भावों से जुड़ते हैं, तो मन की अनेक बाधाएं, विकार, कामनाएं और विकल्प नष्ट हो जाते हैं। इस तरह शिव, शम्भू हों या शंकर, तीनों ही नाम हमेशा जीवन में सुंदरता, सफलता और महामंगल ही लाने वाले हैं।

Niyati Bhandari

Advertising