प्रदोष व्रत स्पेश्ल: शिव तांडव स्तोत्र से जुड़ी ये जानकारी नहीं जानते होंगे आप

Friday, May 13, 2022 - 12:26 PM (IST)

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13 मई दिन शुक्रवार के दिन शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान होता है। अतः इस दौरान लोग हर तरह से इनकी पूजा अर्चना करते हैं। कोई इनकी पंचोपचार पूजा करता है तो कोई इनके मत्रों का जप करता है तो कोई इनकी चालीसा का, स्तोत्र आदि का जप करता है। जिसमें से एक है शिव तांडव स्तोत्र। शिव पुराण की बात करें तो उसमें इसको अधिक महत्व दिया गया है। बता दें आज हम आपके लिए इसी से जुड़ी जानकारी लाएं हैं। दरअसल समाज में शिव स्तोत्र को पढ़ने व श्रवण करने वाले तो बहुत है, परंतु इसकी रचना से जुड़ी जानकारी बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी बेहद दिलचस्प जानकारी, जिसके अनुसार शिव तांडव स्तोत्र का रावण से गहरा संबंध है।



सबसे पहले आपको बता दें इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक में से भगवान शिव की स्तुति गाई है। जब एक बार अहंकारवश रावण नें कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया। जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा गाई गई, यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। यह पाठ करने से भगवान शिव बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। यह स्तोत्र बहुत चमत्कारिक माना जाता है। तो चलिए जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे और पाठ करने की विधि।

बता दें कि जो मनुष्य शिवतांडव स्तोत्र द्वारा भगवान शिव की स्तुति करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है। यह पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है। साथ ही साथ मन की कामना भी पूर्ण होती है।



तो वहीं ऐसा भी माना जाता है कि प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है। भगवान शिव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है।  शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है।  जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो। उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।



ध्यान रखें कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह या प्रदोष काल में करना चाहिए। भगवान शिव को प्रणाम करने के बाद धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें। अगर संभव हो तो इस पाठ को तेज स्वर में करें। इसके बाद पाठ पूरा करने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें। लेकिन इस बात को न भूलें कि शिव तांडव स्तोत्र का उच्चारण सही होना चाहिए और इसका पाठ करते समय किसी के लिए भी मन में दुर्भावना नहीं होनी चाहिए।

Jyoti

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