रोगियों के लिए दवा का काम करता है गुरुग्राम का ये शिव कुंड

Wednesday, May 22, 2019 - 02:20 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
भारत देश में अलग-अलग संप्रदाय (धर्म) के लोग रहते हैं। जिस कारण पूरे देश में विभिन्न प्रकार के मंदिर व धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं। जिनका अपना ही एक खासा महत्व है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी बहुत मान्यता है। तो चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में जहां एक ऐसा कुंड है जिसमें स्नान करने से लोगो के स्किन संबंधित रोग दूर हो जाते हैं।

अगर बात करें आस्था और विश्वास की तो कहा जाता है कि ये हर सवाल और संदेह से कोसों परे है। यही कारण है कि कहते हैं कि अगर मनुष्य को किसी वस्तु पर आस्था हो तो उसे किसी पर भी विश्वास हो सकता है। लेकिन हमारे बीच में से ऐसे कई लोग होंगे जो इन बातों में यकीन नहीं रखते होंगे। मगर आस्था और विश्वास ऐसी चीज़ है जिसको करनी है वो करेगा ही।

आज हम आपको एक मंदिर के ऐसे ही जल कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे बहुत से लोगों की आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है। मान्यताओं के यहां स्नान करने से त्वचा संबंधित बीमारियां खत्म हो जाती हैं। बता दें कि इस कुंड को शिवकुंड के नाम से जाना जाता है।

शिवकुंड नई दिल्ली से लगभग 60 कि.मी. दूर हरियाणा सीमा पर स्थित है। यह शिवकुंड अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसे सोहना कस्बे की पहचान है। यह गुरुग्राम जिसे गुड़गांव के नाम से भी जाना जाता है से 25 कि.मी दूर है। शिव के रूप में विख्यात धार्मिक तीर्थ स्थल श्री शिव कुंभ साख्मजती अघमर्षन कुंड की गाथाएं दूर-दूर तक फैली हैं। यहीं कारण है कि यहां बहुत बड़ी संख्या में शिवभक्त देखने को मिलते हैं।
 
आध्यात्मिक दृष्टि के साथ-साथ यह शिवकुंड वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां वैज्ञानिक समय-समय पर आकर शोध करते हैं। कहते हैं इस कुंड से निकलने वाले जल में गंधक है, इसी प्राकृतिक गंधक के उचित मात्रा में होने के कारण त्वचा संबंधित रोगों में लाभ मिलता है।

इसके अलावा शिव भक्तों का कहना है कि इस कुंड पर भगवान शिव की विशेष कृपा है। उन्हीं के आशीर्वाद से इस कुंड का गर्म जल रोगों से ठुटकारा दिलाता है।


बंजारे ने की थी इस कुंड की खोज
माना जाता है कि 900 साल पहले राजा सावन सिंह ने सोहना बसाया था। मंदिर के महंत विष्णु प्रसाद ने बताया कि चतुर्भुज नाम के एक बंजारे ने इस कुंड की खोज की और गुंबद बनवाया था। कुंड पर सोहना सहित मंदिर, भवन बनवाए और तभी से इस कुंड का नाम शिव कुंड पड़ा। धर्मशाला का निर्माण जयपुर निवासी हरनंद राय गुलाब राय खेतान ने 1637 पिता की स्मृति में कराया था। 1542 में सरकार की ओर से लोगों को इस धार्मिक स्थल की देखभाल का कार्यभार सौंपा गया, तभी से इस कुंड की देखभाल शिव कुंड कमेटी द्वारा की जा रही है। हालांकि साल 2002 में यहां से निकलने वाले नेचुरल झरने को बंद कर दिया गया था। इसके बाद शिव कुंड मंदिर कमेटी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने कुंड के लिए बोरिंग कराई थी। तभी से कुंड के नजदीक लगे ट्यूबवेल से ही गर्म पानी निकलता रहता है। इस गर्म पानी को लेकर यहां वैज्ञानिक कई बार रिसर्च भी कर चुके हैं।

Jyoti

Advertising