शीतला षष्ठी कल: दैहिक और दैविक ताप से मुक्ति के लिए कल अवश्य करें ये काम

Tuesday, Jan 17, 2017 - 10:40 AM (IST)

कल 18 जनवरी माघ मास की शुक्ल षष्ठी तिथि है इस दिन शीतला षष्ठी का व्रत करने का विधान है। यह व्रत अधिकतर महिलाओं के द्वारा रखा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से दैहिक और दैविक ताप से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि शीतला माता भगवती दुर्गा का ही रूप हैं। शीतलाष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति के पीत ज्वर, फोड़े, आंखों के सारे रोग, चिकनपॉक्स के निशान व शीतला जनित सारे दोष ठीक हो जाते हैं। इस दिन सुबह स्नान करके शीतला देवी की पूजा की जाती है। इसके बाद एक दिन पहले तैयार किए गए बासी खाने का भोग लगाया जाता है। यह दिन महिलाओं के विश्राम का भी दिन है, क्योंकि इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। इस व्रत को रखने से शीतला देवी खुश होती हैं। 

 

यदि आप व्रत रखने में सक्षम न हों तो मां को बाजड़ा अर्थात गुड़ और रोट अर्पित करने से भी कर सकते हैं प्रसन्न। इसके अतिरिक्त माता की कथा श्रवण अवश्य करें तत्पश्चात आरती करें।

 
शीतला माता की कथा- एक गांव में एक स्त्री रहती थी, जो शीतलाष्टमी (बासोड़ा) की पूजा करती और ठंडा भोजन लेती थी। एक बार गांव में आग लग गई। उसका घर छोड़कर बाकी सबके घर जल गए। गांव के सब लोगों ने उससे इस चमत्कार का रहस्य पूछा। उसने कहा कि मैं बासोड़ा के दिन ठंडा भोजन लेती हूं और शीतला माता का पूजन करती हूं। आप लोग यह कार्य तो करते नहीं हैं। इससे मेरा घर नहीं जला और आप सबके घर जल गए। तब से बासोड़ा के दिन सारे गांव में शीतला माता का पूजन आरंभ हो गया। 

 

शीतला माता की आरती-
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता। जय शीतला माता... 
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता। जय शीतला माता... 
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता । जय शीतला माता... 
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता। जय शीतला माता... 
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता। जय शीतला माता...
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
 भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता। जय शीतला माता... 
जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता। जय शीतला माता... 
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता। जय शीतला माता... 
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता। जय शीतला माता... 
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता। जय शीतला माता... 
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।
जय शीतला माता... 

Advertising