इस मंत्र से मिलेगा निरोगी होने का वरदान

Thursday, Mar 28, 2019 - 11:21 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी है। इस दिन महाशक्ति के अनंतरूपों में से प्रमुख देवी शीतला की पूजा का विधान है। कहा जाता है कि शीतला माता की पूजा से दैहिक तापों ज्वर, राज्यक्ष्मा, संक्रमण और अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती हैं। इसके अलावा ही इनकी साधना से शीतला ज्वर, चेचक, कुष्ठ, रोग, दाहज्वर, पीतज्वर, फोड़े और कई तरह के चर्मरोगों से छुटकारा मिलता है।

ज्योतिष के अनुसार इस दौरान इनके कुछ खास मंत्रों का जाप करने से शीतला माता प्रसन्न होकर जातक की हर तरग की मनोकामना को पूरी करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले साधक ही नहीं बल्कि उसके कुल में अगर कोई असाध्य रोगों से पीड़ित हो, तो माता के आशीर्वाद से वह सभी रोग दूर हो जाते हैं। ऋषि-मुनि-योगी भी इनका स्तवन करते हुए कहते हैं कि 

''शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।। 

अर्थात - हे देवी शीतला! आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं, अतः आप को बारंबार नमस्कार है। 

ये मंत्र दिलाएगा हर बीमारी से निजात-
मंत्र-
''ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः'' 

देवी शीतला के इस पौराणिक मंत्र के जाप से सभी संकटों से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही समाज में मान-सम्मान, पद और गरिमा की भी वृद्धि होती है। 

मान्यता है कि जो भी भक्त भक्ति-भाव से देवी शीतला की रोज़ाना आराधना करते हैं, मां उन पर कृपा करती हुई, उनके घर-परिवार की सभी विपत्तियों का नाश करती हैं।

इसके अलावा स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र है ''शीतलाष्टक''। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जनकल्याण हेतु इस स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी। देवी शीतला की आराधना मध्य भारत और उत्तरपूर्व के राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। 

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Jyoti

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