जानें, षटतिला एकादशी पर तिलों का क्या है महत्व

punjabkesari.in Wednesday, Jan 30, 2019 - 12:57 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे सालभर में 24 एकादशी आती हैं। लेकिन जब मलमास या अधिकमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 24 से 26 हो जाती हैं। वैसे तो साल की हर एकादशी विशेष होती है। लेकिन माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षटतिला एकादशी की अपनी एक अलग ही विशेषता होती है। शास्त्रों के अनुसार जो भी इस दिन व्रत करता है उसकी हर मनोकामना भगवान विष्णु जल्दी पूरी करते हैं। ये व्रत अपने नाम के अनुसार तिलों से जुड़ा हुआ होता है। इस दिन तिल का दान और इससे बनी मिठाई का विशेष महत्व होता है। कहते हैं इस दिन तिल का दान करने वालों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। तो चलिए आज हम आपको इस व्रत को करने कि विधि और नियमों के बारे में बताएंगे।
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सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान वाले पानी में तिल मिलाकर नहाना चाहिए और नहाने से पहले तिल से बना उबटन जरूर लगाना चाहिए। उसके शुद्ध पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

इस दिन पूरे परिवार में प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सुबह और शाम दोनों समय एक आसन पर बैठकर नारायण कवच का 3 बार पाठ करना चाहिए और साथ ही एकादशी व्रत कथा सुनने या पढ़नी चाहिए। 
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व्रत का संकल्प करने के बाद पूरा दिन अपने मन को भगवान की भक्ति में लगाएं और किसी की निंदा, चुगली नहीं करनी चाहिए।

षटतिला एकादशी पर तिल का दान करने का खास महत्व होता है और भगवान विष्णु का पूजन तिलों से करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 

कहा जाता है कि इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके अपने पितरों का तर्पण करने पर व्यक्ति को लाभ मिलता है। 
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एकादशी वाले दिन रात में जागरण अवश्य करना चाहिए।

रात को सोते समय अपने बिस्तर पर तिल डालकर सोना चाहिए।   
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