शारदीय नवरात्रि 2020: पूजन कक्ष में इस्तेेमाल करें ये रंग, दूर होगा वास्तु दोष-मिलेगा मां का प्यार

Thursday, Oct 15, 2020 - 01:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
17 अक्टूबर से इस साल के शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं। सनातन धर्म से जुड़ा लगभग हर व्यक्ति इनके स्वागत के कार्यों में जुटा हुआ दिखाई दे रहा है। हो भी क्यों न हो आखिरकार साल में आने वाले शारदीय नवरात्रि को अधिक विशेष माना जाता है। बल्कि धार्मिक मान्यताएं हैं कि यूं तो साल में कुल 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। परंतु विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रों का महत्व होता है। इसके अलावा 2 बार गुप्त नवरात्रि आते हैं, जिस दौरान खासतौर पर तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति के लिए देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। बता दें शारदीय नवरात्र के आखिरी दिन के ठीक बाद दशमी तिथि को श्री राम की रावण पर विजय का प्रतीक दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। जिस दौरान पूरे नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बड़े ही भक्तिमय और श्रद्धा से की जाती है। 

इसके अलावा इन नौ दिनों के लिए न केवल देवी मां के मंदिर व पंडाल आदि सजाए जाते हैं बल्कि लोग अपने घरों को व घर में स्थापित पूजा स्थलों को भी बहुत सुंदर तरीके से सजाते हैं। ताकि देवी भगवती की कृपा उन पर बरस सके। मगर वास्तु के अनुसार नवरात्रों में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, इस बारे में जानकारी होना भी अधिक ज़रूरी माना जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि नवरात्रों में कौन से उपाय करने चाहिए जिससे आपको लाभ प्राप्त हो सके। 

इतना तो सब जानते हैं कि नवरात्रों में देवी मां की पूजा, उपवास व अनुष्ठान करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे कि जीवन में से भय, तमाम तरह के विघ्नों के साथ-साथ जीवन में से शत्रुओं का नाश होता है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि देवी मां की पूजा से जीवन में वास्तु दोष भी दूर हो जाता है। जिससे घर और जीवन में फैली नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।  तो आइए जानते हैं कि नवरात्रों के दौरान आपको कौन से खास उपाय करने हैं जिससे आपको विभिन्न प्रकार के लाभ के साथ-साथ देवी दुर्गा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि नवरात्रों में जो व्यक्ति उपवास रखें उसे खास तौर पर इस दौरान छोटी-छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका आदर-सत्कार करते हुए उन्हें भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने से जातक के जीवन में से वास्तु दोष खत्म होता है, साथ ही साथ जीवन में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात भगवती की पूजा समान होता हैं। बता दें यूं तो नवरात्रों में किसी भी दिन कन्या पूजा किया जा सकता है। परंतु नवरात्रि की अष्टमी तिथि और नवमी को कन्या पूजा करना अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। 

इस बात का खास ख्याल रखें कि नवरात्रों के दौरान जहां भी माता रानी का दरबार सजा हो वहां जरा सी भी धूल-मिट्टी खास तौर पर मकड़ी के जाले न हो, मान्यता है इससे नकारात्मक ऊर्जा जीवन में बढ़ने लगती है। इसके साथ ही इस बात का खास ख्याल रखें कि पूजन स्थल व कक्ष की दीवारों का रंग भी वास्तु के मुताबिक हो। जैसे हल्का पीला, गुलाबी, हरा, बैंगनी आदि। कहा जाता है इस रंगों को आध्यात्मिक रंग माना जाता है, जिससे साकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति पूजन कक्ष में काले, नीले या भूरे रंगों का तामसिक रंगों का प्रयोग करता है तो पूजा का संपूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं होता। 

धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि किसी भी प्रकार की पूजा को करने से सबसे अच्छी दिशा ईशाण कोण यानि कि उत्तर दिशा में बैठकर करना चाहिए। कहा जाता है नवरात्रो में इस दिशा में बैठकर देवी भगवती की पूजा करने से जातक को पूजा का संपूर्ण फल मिलता है, तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।

नवरात्रि में कलश स्थापना का अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इससे सुख-समृद्धि के साथ-साथ जातक की सभी कामनाएं पूरी होती हैं। तो वहीं कलश को लेकर ये भी मान्यताएं प्रचलित हैं कि कलश में सभी ग्रहों के साथ-साथ नक्षत्रों और तीर्थों का वास होता है। तो वहीं ये भी माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु, तमाम पावन नदियों, सागर, समुद्रों के साथ-सात सरोवरों एवं तेंतीस कोटि देवी-देवता कलश में विराजमान होते हैं। इसलिए इसकी पूजा अधिक लाभकारी मानी जाती है। वास्तु शास्त्री बताता हैं कि ईशाण कोण ( उत्तर-पूर्व) जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है, जहां हमेशा सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इसलिए इस दिशा में कलश रखने से जल तत्व से जुड़े वास्तु दोष दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। 

Jyoti

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