मां कात्यायनी की लगे जयकारे, मां कालरात्रि की हुई पूजा आज महागौरी की बारी
punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 03:52 PM (IST)
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नई दिल्ली: महर्षि कात्य की पुत्री भगवती जगदंबा की उपासना नवरात्रि के छठवें दिन राजधानी दिल्ली के सभी मंदिरों में बेहद धूमधाम से की गई। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां कात्यायनी महर्षि कात्य की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर पुत्री के रूप में उनके घर उत्पन्न हुईं थीं। उनके दर्शनों के लिए शनिवार को भक्तों ने कतारों में खड़े होकर जयकारे लगाए। इस दिन सुहागिनों ने लाल रंग की चुनरी मां को अर्पित की। शनिवार को झंडेवाला मंदिर में विधिपूर्वक मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई।
सभी कष्टों को हरने वाली मां कालरात्रि की हुई पूजा
शारदीय नवरात्र के 7वें दिन सभी कष्टों को हरने वाली व नकारात्मक ऊर्जा को भक्तों से दूर कर ऊर्जावान करने वाली मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक राजधानी के मंदिरों में की गई। नवरात्रि पर्व की सप्तमी होने की वजह से मंदिरों में भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिली। मालूम हो कि मां कालरात्रि के नाममात्र से दुष्टों, दानवों, दैत्यों व भूत-प्रेत से छुटकारा मिल जाता है।
झंडेवाला मंदिर में रविवार व गांधी जयंती की छुट्टी होने की वजह से सारा दिन भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिली। यहां आने वाले भक्तों ने मातारानी के जमकर जयकारे लगाए। वहीं मां कालरात्रि की विधिवत् पूजा मां कालकाजी शक्तिपीठ में की गई। यह मंदिर विशेष रूप से मां कालरात्रि के स्वरूप मां काली को समर्पित है।
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इसीलिए सुबह से ही कालकाजी मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान मंदिर में चंडी यज्ञ का आयोजन भी मंदिर प्रशासन के द्वारा किया गया। वहीं छतरपुर मंदिर में जहां दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया, वहीं पूरे दिन मां को प्रसन्न करने के लिए हवन-पूजन का भी आयोजन किया गया। सप्तमी में मां के दर्शनों का विशेष महत्व माना जाता है। इसीलिए छतरपुर मंदिर में काफी भीड़ देखने को मिली।
अष्टमी आज महागौरी की होगी आराधना
नवरात्रि का आठवां दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है। इनकी उम्र 8 वर्ष की मानी गई है। नाम की तरह ही मां के समस्त वस्त्र और आभूषण भी श्वेत रंग के होते हैं। चार भुजाधारिणी मां का वाहन वृषभ होता है। अभय मुद्रा धारी मां के हाथ में डमरू व त्रिशुल होता है और इनकी मुद्रा शांत होती है। मां महागौरी हिमालय की शृांखला में शाकंभरी के नाम से प्रकट हुईं थीं।
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