सटीक विधि व मुहूर्त में करें कलश स्थापना, नवरात्रि में मैया आएंगी आपके द्वार

Friday, Sep 23, 2022 - 01:47 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
साल 2022 में 26 सितंबर दिन सोमवार से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है और 05 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन के साथ इनका समापन होगा। मां दुर्गा की उपासना के लिए ये 9 दिन बेहद खास होते हैं। चूंकि इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन ही पड़ रही है, तो इसे शुभ माना जा रहा है। इसके अलावा इस दिन ब्रह्म योग भी बन रहा है। बताते चलें इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार के दिन शुरू होने के कारण माता का वाहन हाथी होगा। ये ही नहीं इस बार शारदीय नवरात्रि पर माता का आगमन और विदाई दोनों ही हाथी की सवारी पर होगी। बता दें, नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। इसी दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है और नौ दिन का व्रत रखा जाता है। आपको बता दें कि इस बार की नवरात्रि बहुत ही ख़ास दिन से आरंभ हो रही है। तो इसको और भी खास बनाने के लिए आर्टिकल में बताई गई जानकारी के मुताबिक आप कलश स्थापना कर मां का स्वागत कर सकते हैं, ताकि माता रानी आप से प्रसन्न होकर लौटें। तो आईए जानते हैं घटस्थापना की सही विधि व शुभ मुहूर्त।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
सबसे पहले आपको बता दें, प्रतिपदा तिथि का आरंभ 26 सितम्बर को सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर होगा और इसका समापन 27 सितम्बर प्रात: काल 03 बजकर 08 मिनट पर होगा।

घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। 26 सितंबर सुबह 06 बजकर 11 मिनट से सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक इसकी कुल अवधि है 01 घंटा 40 मिनट।
 

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घटस्थापना अभिजित मुहूर्त रहेगा 26 सितंबर 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक। इसकी कुल अवधि है 48 मिनट।


ऐसे करें कलश स्थापना-
कलश की स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। ध्‍यान रखें कि कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही हो। बताते चलें, स्‍टील सा किसी अन्‍य अशुद्ध धातु का कलश घटस्थापना के लिए शुभ नहीं माना जाता है। अतः तो यह कलश स्थापना की संपूर्ण विधि है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। मां दुर्गा को इस विधि से स्वागत करने से मां आपके घर में ज़रूर दस्तक देगी और आपकी हर मनोकामना पूरी करेगी।

 

Jyoti

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