इस मंदिर में रात बिताने से मौत की आगोश में आ जाता है हर इंसान?

Thursday, Apr 21, 2022 - 02:38 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
लगातार हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से किसी न किसी धार्मिक स्थल के दर्शन करवाते रहते हैं, इस कड़ी को बिल्कुल भी न तोड़ते हुए हाजिर हैं एक बार फिर आपके लिए प्राचीन मंदिर से जुड़ी जानकारी लेकर। दरअसल आज हम बात करने जा रहे हैं मध्यप्रदेष के मैहर नगर से लगभग 5 कि.मी दूर स्थित त्रिकुटा पहाड़ी पर बना रहस्यमयी मंदिर की। बता दें हम बात कर रहे हैं शारदा माता मंदिर की। जो भक्तों के लिए न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि अपने रहस्यों के लिए ये अति प्रसिद्धि पाए हुए हैं।

इससे पहले आप सोचे कि आखिर इस मंदिर से जुड़ा ऐसा क्या रहस्या है, तो आपको बता दें इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार मा के इस दरबार में आज तक कोई व्यक्ति कभी रात नहीं रुक पाया है, ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां रात रुकता है, उसकी मौत हो जाती है। हैरानी की बात तो ये है कि इसके बावजूद इस मंदिर की मान्यता व प्रसिद्धि दिन भर दिन फैलता जा रही है और रोज़ाना यहां देश के कोने-कोने से लाखों की तादाद में भक्त मां के दर्शनों को पहुंचते हैं। बता दें कि इस मंदिर में मां की एक झलक पाने के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है।

यहा होने वाले मां के चमत्कारों के अलावा यहां का रहस्य भी कुछ ऐसा है जो लोगों को वहां जाने के लिए मजबूर कर देता है। बता दें कि पूरे भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का एकमात्र मंदिर है। हालांकि इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरवी, भगवान, हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमति माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती है।

स्थानीय परंपराओं की मानें तो लोग माता के दर्शन के साथ-साथ दो महान योद्धाओं आल्हा और ऊदल, जिन्होंने पृथ्वी राज चौहान के साथ भी युद्ध किया था, का भी अवश्य दर्शन करते हैं। अगर कोई व्यक्ति रात के समय यहां रूकने की चेष्टा करता है तो वह अगली सुबह नहीं देख पाता, बल्कि मौत के आगोश को प्राप्त हो जाता है।

कथाएं प्रचलित हैं कि आल्हा और ऊदल दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। जिसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। तदोपरांत माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। ऐसा लोक मत है  क आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था, जिस कारण ये मंदिर भी माता शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हो गया। 

तो अ्न्य कुछ किवदंतियों के अनुसार आज भी सबसे पहले आल्हा और ऊदल ही मां के दर्शन करने आते हैं। मान्यता ये भी है कि यहां मां के चरणों में नारियल, सिंदूर, पान, चुनरी पान और सुपारी चढ़ाता है उसकी हर इच्छा पूरी होती है। साथ ही साथ मंदिर के पीछे स्थान पर मन्नत की डोर भी बांधी जाती है। 

Jyoti

Advertising