यहां पत्नी संग विराजमान हैं भगवान शनिदेव, पांडव कालीन है ये मंदिर

Monday, May 18, 2020 - 06:37 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते शनि देव से जुड़ा सबसे खास दिन आने को है, जी हां, हम बात कर रहे है शनि जयंती की जो इस वर्ष 22 मई को पड़ रही है। तो जाहिर है जो इस समय देश के हालात है उस दौरान शनि देव की मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना शायद संभव नहीं होगा। इसलिए हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से इनके एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां शनि देव अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। बता दें जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा में स्थित है। कहा जाता है इस स्थान पर पहुंचने का रास्ता थोड़ा कठिन है मगर फिर भी बड़ी संख्या में भक्त जहां शनिदेव के दर्शन करने आते हैं। इसका कारण यह है कि छत्तीसगढ राज्य के कवर्धा जिले के करियाआमा गांव में स्थित इस शनि मंदिर में स्थापित मूर्ति पांडव कालीन मानी जाती है। चलिए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बारे में-

पांडवों ने की थी मूर्ति स्थापित 
लोक मत की मानें तो इस स्थान पर स्थापित मूर्ति पर लगातार तेल चढ़ाने के कारण काफी धूल-मिट्टी की एक मोटी परत चढ़ चुकी थी। जब इस पावन प्रतिमा पर जमी परत को साफ़ किया गया तो शनिदेव के साथ ही उनकी पत्नी देवी स्वामिनी की भी मूर्ति पाई गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि करियाआमा गांव में स्थित शनिदेव की प्रतिमा की पांडवों द्वारा स्थापित की गई थी। ऐसी मान्यता है अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय इस स्थान के नजदीकी जंगल में भी व्यतीत किया था। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने शनिदेव की इस अदभुत मूर्ति को स्थापित किया था।

पति-पत्नी साथ करते हैं शनिदेव की पूजा
बताया जाता है कि यह मंदिर दुनिया का एकमात्र सपत्नीक शनिदेवालय है, इस मंदिर को इस नाम से जाने जानने का कारण ये है कि अन्य मंदिरों में शनिदेव अकेले ही भक्तों को दर्शन देते हैं। परंतु यहां वे अपनी पत्नी संग विराजमान हैं। 

शनि जयंती पर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
यूं तो सारा साल ही शनिदेव के भक्त इस पावन स्थान पर शनिदेव के दर्शन करने व मनोकामनाएं मांगने आते हैं। लेकिन हर साल शनिदेव जयंती पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। 

Jyoti

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