Kundli Tv- किसने और क्यों यहां पटका था शनिदेव को?

Saturday, Nov 17, 2018 - 03:48 PM (IST)

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शनिदेव जो एक ग्रह भी है और देवता भी। देवताओं और ग्रहों दोनों में ही इनका खास महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी पर शनिदेव की कृपा हो जाए तो वो व्यक्ति  रंक से राजा बन जाता है। यही कारण है कि लोग इनकी पूजा करते वक्त बहुत सावधानी बरतते हैं। यहां तक कि देवता भी इनकी कुदृष्टि से डरते हैं। वैसे तो इनके देशभर में कई मंदिर हैं लेकिन आज हम आपको इनके ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं जिसकी कहानी बहुत ही दिलचस्प है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें-  

गवालियर में एंती नामक गांव में शनिदेव का चमत्कारिक मंदिर है जिसे शनिश्चरा नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्थापित शनि की प्रतिमा रामायणकाल में खुद निर्मित हुई थी।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रामायण काल के दौरान रावण ने शनिदेव को बंधी बना लिया था। मान्यता है कि राम और रावण के युद्ध के बाद जब हनुमान लंका जलाने लगे तो शनिदेव ने उन्हें वहां से निकालकर किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए कहा क्योंकि रावण की कैद में रहकर वो बहुत कमज़ोर हो गए थे। उनकी बात मानकर हनुमान जी ने शनिदेव को वहां से निकालकर फेंक दिया। कहा जाता है जिस स्थान पर शनिदेव आकर गिरे वहीं स्थापित हो गए। इस स्थान को शनिश्चरा के नाम से जाना जाता है। 

शायद यही वजह है सिर्फ बजरंगबली ही ऐसे भगवान हैं जिनकी अाराधना करने से शनि का प्रकोप कम हो सकता है और यही कारण है शनिदेव की कुदृष्टि का पवनपुत्र पर कोई असर नहीं पड़ता।  

त्रेतायुग में बना ये मंदिर लोगो का आस्था का केंद्र है। वैसे तो पूरा साल यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन शनिश्चरी अमावस्या के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दिन लोग तेल चढ़ाते हैं और पहने हुए कपड़े और जुते वहीं छोड़ कर चले जाते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से उनकी दरिद्रता दूर होती है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। लोक मान्यता है कि यहां आज भी शनिदेव वास करते हैं। 
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Jyoti

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