Shani Sade Sati/Dhaiya Upay: शनि की साढ़ेसाती और ढैया से घर बैठे पाएं मुक्ति

Friday, Oct 01, 2021 - 08:14 AM (IST)

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Shani Sade Sati/Dhaiya Upay: जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत भाग हर समय शनि के शुभ/अशुभ प्रभाव में रहता है। 12 में से तीन राशियों को शनि की साढ़ेसाती प्रभावित करती है तो दो राशियों को शनि की ढैया। इस प्रकार 12 में से 5 राशियों को शनि हर समय प्रभावित करता है। एक भ्रांति जो आपके मन में समाई है कि शनि बुरा ही बुरा करता है यह सही नहीं है। वास्तव में शनि मनुष्य से संघर्ष करवाता है, अत्यधिक परिश्रम करवाता है और इसी को व्यक्ति शनि का दोष, अशुभ प्रभाव समझता है।


Shani Sadhesati शनि की साढ़ेसाती है क्या?
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से द्वादश (बारहवां) आ जाएगा, तब आप पर शनि की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी। यह साढ़ेसाती का पहला चरण होगा।

जब शनि आपकी राशि पर आ जाएगा तब आप पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण आरंभ होगा और जब शनि आपकी राशि से अगली राशि में चला जाएगा, तब आप पर साढ़ेसाती का तीसरा चरण आरंभ होगा।

एक राशि पर शनि लगभग 2 वर्ष 6 माह रहता है। इस प्रकार तीन स्थानों पर शनि के भ्रमण करने में साढ़े सात वर्ष का समय लगता है इसीलिए इसको शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। प्राय: व्यक्ति जीवन में 3 से अधिक साढ़ेसाती नहीं देख पाता।

Shani Dhaiya शनि की ढैया क्या है?
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से चतुर्थ या अष्टम स्थान में प्रवेश कर जाएगा, तब आपको शनि की ढैया लगेगी। इसी प्रकार एक ही समय में पांच राशियों को शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया रहती है।


Shani Sade Sati Dhaiya Upay निम्र उपाय से अशुभ प्रभाव में कमी पा सकते हैं:
घर में पारद शिवलिंग एवं शनि यंत्र की स्थापन करें।

यदि आप व्यवसायी हैं तो शनि की साढ़ेसाती/ढैया की शांति के लिए शालिग्राम शिवलिंग की नित्य पूजा करें।

दक्षिणावर्त शंख (छोटा या बड़ा कोई भी) में भरे जल का नित्य प्रात: तीन बार आचमन करें।

सदैव भगवान शंकर का प्रिय एकमुखी रुद्राक्ष पहने रहें। यदि एकमुखी रुद्राक्ष न पहन सकें तो रुद्राक्ष की माला तो अवश्य पहने रहें।

शनि यंत्र की अभिमंत्रित ‘शनि मुद्रिका’ अंगूठी अथवा ‘शनि लॉकेट’ अवश्य पहने रहें। अंगूठी पहनने से पूर्व उसे शुद्ध एवं मंत्र चैतन्य अवश्य ही करवा लें। यह अनिवार्य है।

Shani dev mantra: स्वयं शनि के वैदिक या तांत्रिक मंत्र का जप करें।

lord shiv puja mantra: भगवान शंकर की उपासना के लिए यदि संभव हो तो सदैव ही शिव मंदिर में दर्शन करें एवं शिवलिंग पर दूध, मिश्रत जल अर्पण करें। बिल्व पत्र चढ़ाएं। कभी-कभी संभव हो तो विद्वान पंडित से रुद्राभिषेक करवाएं, विशेषकर श्रावण मास के सोमवार, शिवरात्रि आदि पर्व पर। आप स्वयं यदि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस समय मंत्र का जाप कर सकें तो उत्तम है।

मंत्र : ॐ नम: शंभवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्काय च मन: शिवाय च शिवतराय च। अथवा ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का भी आप जाप कर सकते हैं।

 

 

Niyati Bhandari

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