Shani Pradosh Vrat 2025: आज शाम बनेगा मनचाही इच्छाओं को पूरा करने का शुभ योग, भगवान शिव और शनि देव की बरसेगी कृपा
punjabkesari.in Saturday, Jan 11, 2025 - 11:48 AM (IST)
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Shani Pradosh Vrat 2025: आज शनि प्रदोष अथवा शनि त्रयोदशी का दिन है। शनि प्रदोष के दिन भोलेनाथ के साथ शनि देव की पूजा का विधान है। पौष शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ आज 11 जनवरी 2025 की सुबह 8 बजकर 21 मिनट से हो गया है। जो 12 जनवरी 2025 की सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त 11 जनवरी की शाम 5 बजकर 43 मिनट से रात 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। भगवान शिव शनि देव के गुरु हैं। अत: इस दौरान पूजा करने से भगवान शिव के साथ शनि देव भी प्रसन्न होंगे। आज अमृत योग का शुभ संयोग बन रहा है। जिसमें मनचाही इच्छाओं की पूर्ति होती है। अमृत काल सुबह 6 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है। इसके अतिरिक्त सिद्धि योग, शुक्ल योग और ब्रह्म योग भी बन रहा है। शनि त्रयोदशी पर भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करते समय वास्तु और धार्मिक नियमों का पालन करने से पूजा अधिक प्रभावी होती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण वास्तु और पूजा से जुड़े नियम बताए जा रहे हैं:
Vastu rules in the worship of Lord Shiva and Shanidev भगवान शिव और शनिदेव की पूजा में वास्तु नियम:
पूजा स्थल का चयन:
पूजा का स्थान घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में होना चाहिए। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। पूजा स्थल साफ, शुद्ध और शांत वातावरण में होना चाहिए।
मूर्ति या चित्र की स्थापना:
भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें। शनिदेव की प्रतिमा को दक्षिण दिशा में रखें, लेकिन उनकी पूजा करते समय उनकी आंखों में सीधा न देखें। शिवलिंग को चांदी, पत्थर या पंचधातु का उपयोग करके रखें।
पूजन सामग्री का स्थान:
दीपक और अगरबत्ती को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें।
जल का कलश उत्तर-पूर्व में रखें।
फूल और अन्य सामग्री साफ और शुभ दिशा (पूर्व या उत्तर) में व्यवस्थित रखें।
पूजा स्थल की रोशनी:
पूजा स्थल पर अच्छी रोशनी होनी चाहिए। अंधेरा या गंदगी से बचें। दीपक जलाते समय उसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
शुद्धता का ध्यान:
पूजा से पहले पूरे घर को साफ करें, विशेषकर पूजा स्थल। पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
Things to keep in mind while worshipping Shani Trayodashi शनि त्रयोदशी की पूजा विधि में ध्यान देने योग्य बातें:
Worship of Lord Shiva भगवान शिव की पूजा:
जल और दूध अर्पित करें: शिवलिंग पर गंगाजल और शुद्ध दूध चढ़ाएं।
बिल्वपत्र चढ़ाएं: बिल्वपत्र चढ़ाते समय ध्यान दें कि पत्ते कटे-फटे न हों।
मंत्रों का जाप करें:
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
दीपक जलाएं:
घी का दीपक जलाकर भगवान शिव के पास रखें।
Worship of Shani Dev शनिदेव की पूजा:
तिल और सरसों के तेल का उपयोग करें: शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें।
काले तिल और काले वस्त्र अर्पित करें: काले तिल और काले कपड़े अर्पण करना शुभ होता है।
नीला फूल चढ़ाएं: शनिदेव को नीले या काले रंग के फूल अर्पित करें।
मंत्रों का जाप करें: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
पूजा के समय चिंतन और ध्यान शांत रखें।
पूजा स्थल पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें या शोरगुल न करें।
शनिदेव की पूजा में उनकी कृपा पाने के लिए दूसरों की मदद करने का संकल्प लें।
पूजा के बाद दान अवश्य करें। काले तिल, लोहे का बर्तन और सरसों का तेल गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है।
इन नियमों का पालन करके आप शनि त्रयोदशी पर भगवान शिव और शनिदेव की पूजा प्रभावी और फलदायी बना सकते हैं।