सूर्यास्त से पहले आज कर लें ये काम, बरसेगी आप पर शनि देव की कृपा

Friday, May 22, 2020 - 02:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारी वेबसाइट से जुड़े लोगों को अभी तक शनि जयंती से जुड़ी तमाम तरह की जानकारी मिल गई हो, जैसे इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा, ज्योतिष उपाय, पूजा का शुभ मुहूर्त आदि। इसी बीच अब हम आपको बताएंगे कि शनि जयंती की शाम को ऐसा क्या करना चाहिए कि जिससे शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके। दरअसल धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन अमावस्या के दौरान पितृ तृप्त करने का भी विधान है साथ ही साथ ही इस दिन वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है। कुल मिलाकर कहने का भाव ये है कि इस दिन का महत्व इन सभी खास पर्वों के कारण बड़ जाता है। ऐसे से सबसे खास माना जाता है शनि जयंती का अवसर क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए हिंदू धर्म से संबंध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति इन्हें प्रसन्न करने के प्रयत्न करता है।

ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा उपाय जिसे करने से आप पर शनि देव की खास कृपा बरसेगी। मगर ध्यान रहे आपको ये उपाय सूर्यास्त के समय करना होगा। तो चलिए जानते हैं क्या है वो चमत्कारी उपाय-

इतना तो सभी जानते हैं कि शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं शनि जयंती के खास दिन अगर शनि देव के एक चमत्कारी मंत्र का जप करते हुए इनका अभिषेक किया जाए तो तमाम तरह मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। चलिए जानते हैं मंत्र के बरे में साथ ही जानेंगे कि क्यों शनि देव का तेल अभिषेक करना इतना विशेष माना जाता है।
 

जो व्यक्ति शनि दोष से पीड़ितो हो और उससे छुटकारा पाना चाहता उसे वैसे तो प्रत्येक शनिवार को शनि देव का तेल से अभिषेक करना चाहिए मगर अगर इसमें किसी प्रकार की भूल हो गई हो तो शनि जयंती का खास अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। इस दिन से सूर्यास्त के समय शनि देव का विधिवत पूजन करने के बाद तेल से ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का 108 बार उच्चारण करते हुए शुद्ध भाव से सरसों या तिल के तेल से शनि देव का अभिषेक करें।

क्यों तेल से किया जाता है शनि का अभिषेक
वाल्मीकि जी द्वारा रचित आनंद रामायण के अनुसार में लंका लाने के लिए समुद्र पर जिस राम-सेतु पुल का निर्माण किया गया था उसकी सुरक्षा का दायित्यव भगवान श्री राम जी ने अपने परम भक्त हनुमान जी को सौंपा था।

कथाओं के अनुसार एक बार हनुमान जी रात में भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए सेतु पुल की रक्षा कर रहे थे कि वहां अचानक शनि देव पहुंचे और उन्हें अपने व्यंग्यबाणों से परेशान करने लगे।

श्री हनुमान जी ने शनि देव ने कहा कि कृप्या उन्हें सेतु की रक्षा करने दें, लेकिन शनि देव नहीं माने। इस पर हनुमान जी क्रोधित हो गए और हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में जकड़ कर इधर-उधर पटकना शुरू कर दिया। जिससे शनि देव को बहुत पीड़ा हुई और पीड़ा से बचने के लिए शनि देव ने अपने शरीर पर तेल का लेप लगाया, जिससे उनकी पीड़ा तुरंत दूर हो गई। ऐसा कहा जाता तभी से शनि देव को तेल चढ़ाने की परम्परा शुरू हुई।

Jyoti

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