जानना चाहते हैं कहीं आप पर भी तो नहीं चल रही शनि ढैय्या, तो यहां जानें उसके लक्ष्ण

Saturday, Jun 01, 2019 - 01:16 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि इस महीने की 3 तारीख़ को हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार शनि जयंती मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये दिन शनि देव को खुश करने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। तो अगर आपकी कुंडली में भी शनि ढैय्या है, और आप से इससे अत्यंत पीड़ित है तो घबराईए मत क्योंकि हम आपको शनि जयंती के इस खास मौके पर आपकी राशि अनुसार कुछ ऐसा बताने वाले हैं जो आपके लिए जानना बहुत लाभदायक साबित हो सकता है।

आप में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जिनके जीवन में अचानक से कई परेशानियां पैदा हो जाती हैं, जिससे वो लाख निकलने को कोशिश करते हैं पर इसमें सफल नहीं हो पाते। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि कुछ हालातों में इसका कारण शनि की दैय्या या शनि की साढ़ेसती के कारण होता है। सवाल ये है कि अब ये पता कैसे चले तो चलिए हम आपको बताते हैं कि ये कैसे पता किया जा सकता है।

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जानें आपकी राशि में शनि की ढैय्या है या नहीं और अगर है तो ये उपाय शनि जयंती के दिन ज़रूर करें-
ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव जब कर्क और वृश्चिक राशि में भ्रमण करते हैं तो मेष राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

न्याय के देवता शनिदेव जब सिंह व धनु राशि के गोचर के दौरान भ्रमण करते हैं, तब वृषभ राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

इसके अलावा कन्या व मकर राशि में शनिदेव के भ्रमणकाल में मिथुन राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

तो वहीं तुला और कुंभ राशि के गोचर के दौरान जब शनिदेव भ्रमण करते हैं तब कर्क राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

जब शनि वृश्चिक और मीन राशि में आते हैं तो सिंह राशि वालों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

वहीं जब धनु और मेष राशि में विराजमान होते हैं तब शनिदेव की ढैय्या कन्या राशि के लोगों पर रहती है।

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शनिदेव जब मकर एवं वृष राशि में गोचर में स्थित रहते हैं तब तुला राशि के जातकों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

गोचर में शनिदेव जब कुंभ और मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो वृश्चिक राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

शनिदेव जब गोचर में मीन तथा कर्क राशि में स्थित रहते हैं तब धनु राशि के लोगों पर शनिदेव की ढैय्या रहती है।

तो वहीं जब शनि देव मेष और सिंह राशि से गोचर करते हैं तब मकर राशि वालों पर शनिदेव की ढैय्या प्रारम्भ होती है।

जब शनि वृष और कन्या राशि में आते हैं तब कुम्भ राशि वालों को शनिदेव की ढैय्या का कहर सहना पड़ता है।

जब शनि मिथुन व तुला राशि में गोचर करते हैं तब मीन राशि वाले लोगों के जीवन में शनिदेव की ढैय्या शुरू होती है।

शनि की ढैय्या के दौरान इन बातों का रखें ध्यान-
ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि शनि की ढैय्या में जातक को धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि इस दौरान व्यक्ति को अपने सगे संबंधियों की भी मदद कम ही मिलती है। इसलिए इस दौरान स्वयं सभी कार्य करने पड़ते हैं।

तो अगर आप इससे पीड़ित है तो रोज़ाना दिन प्रातः काल चिड़ियों को दाना डालें और उनके लिए पानी रखें। चींटियों को आटा शक्कर डालें और स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य को अर्घ्य ज़रूर दें।

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शनि जयंती के दिन ज़रूर करें ये उपाय-
सुन्दरकांड या हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें।

सुबह पीपल के पेड़ पर जल दान करें इससे शनि पीड़ा से शांति मिलेगी है। इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का 108 बार जप करें।

इसके साथ ही इस दिन काली उड़द की दाल, तिल, लौह, काले कपड़े आदि का दान ज़रूर करें, लाभ होगा।

शनि देव मंत्र- 
ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

ॐ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।

ॐ सूर्य पुत्राय नमः।।

 

Jyoti

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