अच्छे कर्मों पर नहीं होगा साढ़ेसाती का असर

Friday, Sep 27, 2019 - 09:20 AM (IST)

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जालंधर, (धवन): किसी भी परेशान व्यक्ति को आप देखेंगे तो यही कहेगा कि पता नहीं कौन-सी साढ़ेसती चल रही है। चैन ही नहीं मिलता है। पुरातन व लाल किताब के लुधियाना के प्रमुख ज्योतिषी डा. परवेश के अनुसार उन्होंने अनेकों लोगों को साढ़ेसती के दौरान ही ऊंचाइयों को छूते हुए देखा है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का उदाहरण दिया है।

उन्होंने बताया कि जब पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को पहली साढ़ेसती शुरू हुई तो उनकी शादी हुई थी तथा बेटी इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था। जब दूसरी बार साढ़ेसती शुरू हुई तो वह प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हो गए।

इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी भी साढ़ेसती के दौरान प्रधानमंत्री बने। चौधरी चरण सिंह, मोरार जी देसाई, देवेगौड़ा, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आदि को साढ़ेसती ने ही राजनीतिक तौर पर उंचाइयों पर पहुंचाया। शनिदेव अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को कभी तंग नहीं करते, जो व्यक्ति बुरे कर्म करते हैं, उन्हें दंड भी देते हैं इसलिए शनिदेव को न्यायाधीश कहा जाता है।

सभी प्रमुख राजनीतिज्ञों को उच्च पद शनि ने दिए
जब मोदी की कुंडली में शनि उनकी वृश्चिक राशि से 12वें स्थान पर आया तो राजनीतिक तौर पर उन्होंने ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की धनु राशि पर जब साढ़ेसती शुरू हुई तो वह मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हो गए। उन्होंने कहा कि लोगों को कालसर्प के नाम से भी डराया जाता है, जबकि बड़े-बड़े लोगों की कुंडलियों में यह दोष देखा गया है। शनि के पंचम भाव में गोचर को कई लोग अशुभ मानते हैं। मंगल के ऊपर शनि के गोचर को भी अच्छा नहीं मानते हैं।

इसी तरह देखें तो 30 वर्षों में 25 वर्ष शनि का गोचर हो जाता है तो इसका अर्थ यह निकाला जाए कि 30 वर्षों के शनि के 9 राशियों के भ्रमण में 25 वर्ष खराब ही जाते हैं जबकि इसमें सच्चाई नहीं इसलिए साढ़ेसती से डरने की जरूरत नहीं है, बस अच्छे कर्म इंसान को करने चाहिए। 

Lata

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