शनि अमावस्या: दंडनायक को रिझाएं, कुंडली में मौजूद दोषों से मिलेगी राहत

Thursday, Nov 16, 2017 - 11:16 AM (IST)

सूर्य देव के पुत्र यमराज के बड़े भाई शनिदेव ज्योतिष के अनुसार ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। देवी जगदम्बा चिंताहरण सिद्ध ज्योतिष पीठ नारनौल के ज्योतिषी पं. अशोक प्रेमी बांसुरी वाला ने कहा कि शनि देव ताकत व ऊंचे पद का दुरुपयोग व बुरे कर्म करने वालों को उनके कर्मों के अनुसार सजा देते हैं। मेहनती तथा सद्कर्म करने वालों की उन्नति के रास्ते खोल देते हैं। शनि अमावस्या पर इनकी विशेष कृपा भक्तों पर होती है। 


उन्होंने कहा कि 18 नवम्बर को शनि अमावस्या है जब सूर्य-चंद्रमा एक राशि में आते हैं और उस स्थिति में शनिवार हो तो शनि अमावस्या कहलाती है। इस दिन किए गए दान-पूजन अक्षय फल देने वाले होते हैं जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष व शनि प्रकोप होता है, उन जातकों पर प्रेत बाधा, जादू-टोना, डिस्क स्लिप, नसों के रोग, बच्चों में सूखा रोग, गृह क्लेश, असाध्य बीमारी, विवाह का न होना, संतान का शराबी बनना व कभी-कभी अकाल दुर्घटना का कारण भी बन जाता है। 


पं. बांसुरी वाला ने कहा कि इन समस्याओं से बचने के अचूक उपाय भी हैं। किसी पवित्र नदी, तीर्थ स्थान या महाराष्ट्र के शिंगनापुर के शनि मंदिर में स्नान करें और गणेश पूजन, विष्णु पूजन, पीपल का पूजन करने से लाभ मिलता है। पीपल पर जल चढ़ाएं तथा पंचामृत चढ़ा कर गंगा जल से स्नान कराएं। रौली लपेट कर जनेऊ अर्पण करके पुष्प चढ़ाएं, नैवेद्य का भोग लगाकर नमस्कार करें। इसके बाद पीपल की 7 परिक्रमा शनि मंत्र का जाप करते हुए करें और पीपल पर 7 बार कच्चा सूत बांधें। 


उन्होंने कहा कि शनि अमावस्या को दान की जाने वाली वस्तुओं में भैंसे या घोड़े को चने खिलाना, एक काली किनारी वाली धोती-कुर्ता, उड़द के पकौड़े, इमरती, काली गुलाब जामुन, छतरी, तवा-चिमटा आदि वस्तुओं का शनि मंदिर के पुजारी को दान देना शामिल हैं। 

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