Shani Amavasya 2021: कल दरिद्रों के नारायण को करें प्रसन्न, बनेगा हर बिगड़ा काम

Friday, Dec 03, 2021 - 03:21 PM (IST)

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Shani Amavasya December 2021: भारतीय हिन्दु पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि जो कि 4 दिसंबर 2021 के दिन शनिवार को है। जैसे के नाम से ही हम समझ सकते हैं कि ऐसी अमावस्या जो कि शनिवार के दिन पड़ती हो, उसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। अमावस तिथि का आरम्भ 3 दिसंबर 2021 को सांयकाल 04:58 से लेकर समापन 4 दिसंबर 2021 को दोपहर 01:15 को होगा। इसी ही दिन वर्ष 2021 को अंतिम सूर्य ग्रहण भी होगा। जिस कारण इस अमावस्या तिथि का महत्व और भी अधिक हो जाता है। वैसे तो हर महीने की अमावस तिथि का अपना एक विशेष ही महत्व होता है पर शनिश्चरी अमावस का अपना ही एक अलग प्रभाव रहता है क्योंकि शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। जो कि मानव को उसक अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर ही परिणाम प्रदान करते हैं। 

Shani Amavasya 2021: उन्हें कुछ विषेशाधिकार भी प्राप्त हैं, जिसके अन्तर्गत वह किसी भी व्यक्ति को कुछ भी फल प्रदान कर उसके परिणामों में परिवर्तन की क्षमता रखते हैं अर्थात कोई भी जातक शनिश्चरी अमावस के दिन शुभ कर्म करके ऐसे फल प्राप्त कर सकता है जिससे कि शनि देव की कृपा से जीवन में होने वाली बुरी घटनाओं के प्रभाव को कम व समाप्त भी किया जा सकता है। 

Shani amavasya 2021 upay: इस दिन पीपल के घने वृक्ष की पूजा-अर्चना करना, पीपल को जल देना, दीप प्रजवलित करना व उसकी परिक्रमा करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं तथा पीपल वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। जिससे कि हमें उन सभी की कृपा भी प्राप्त होती है। श्री भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में पीपल मैं हूं कह कर सम्बोधित किया है। पीपल के वृक्ष लगाना व उनका संरक्षण करना भी श्रीहरि सेवा ही माना गया है। 

जो भी व्यक्ति शनि की साढ़ेसती व शनि की ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव से प्रभावित है उन्हें शनिश्चरी अमावस के दिन घर पर, शनि मंदिर में या पीपल के वृक्ष तले बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये। ऐसा करने से शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व शत्रु संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। इस दिन अमावस्या का व्रत रखने से भी अमावस तिथि व शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होकर शनि से संबंधित समस्याओं का निदान होने के योग भी बनते हैं। 

अमावस्या तिथि पर जरूरतमंदों को दान देने का भी विषेश महत्व होता है क्योंकि बुरे कर्मों के प्रभाव व पाप ग्रहों के प्रभाव को सिर्फ दान द्वारा ही शांत किया जा सकता है। इस दिन तिल, सरसों का तेल, लोहे के बर्तन, कौड़ियों को भोजन व यथा शक्ति वस्त्र व धन दान, जूते, कम्बल, चप्पल, काले उड़द इत्यादि शनि से संबंधित वस्तुओं का दान देने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। 

इस दिन लोहे या स्टील की कटोरी में सरसों या काले तिल का तेल डालकर नंगे पैर होकर पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके उस पात्र में अपना चेहरा देखें व चेहरा देखने के बाद उसमें सिक्के के रूप में दक्षिणा डालनी चाहिये तथा पात्र को शनि मंदिर या डकौत पंडित को पात्र संहित ही दान दे देना चाहिये। 
 
शनिदेव को दरिद्रों के नारायण कहकर भी संबोधित किया गया है। इस दिन मजदूर या दरिद्रों की सेवा या बूढ़ों की सेवा करने से भी शनिदेव का कूप्रभाव शांत होता है तथा आज ही के दिन ओम शं शनैश्चराय नमः का या शनि चालीसा का पाठ भी करना चाहिये।  

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

Niyati Bhandari

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