समस्त यज्ञ और सारे तीर्थ नहाने का पुण्य पाने के लिए करें ये काम

Saturday, Feb 18, 2017 - 12:27 PM (IST)

गौ माता ही हमारी संस्कृति और धर्म में ऐसे देवता के रूप में प्रतिष्ठित है,जिनकी नित्य सेवा और दर्शन करने का विधान हमारे शास्त्रों ने किया है। गौ से मतलब उस गाय से है, जो देवता के रूप में विराजमान गौ माता है। आज के दौर की देशी गाय को ही प्राचीन काल में ‘गौ’ नाम से कहा गया है। ‘जरसी’ गाय तो दूध देने वाली एक पशु के समान है। अत: गौ माता का तात्पर्य शुद्ध देशी गाय से ही है। यही कारण है कि आयुर्वेद में देशी गाय के ही दूध, दही और घी व अन्य तत्त्वों का प्रयोग होता है। जिस घर की महिलाएं गौ माता का पूजन करती हैं, उस घर में माता लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है और अकाल मृत्यु कभी नहीं होती। 

 

गौ का विश्वरूप 
वैदिक साहित्य के अनुसार प्रजापति गौ के सींग, इंद्र सिर, अग्नि ललाट और यम गले की संधि है। चंद्रमा मस्तिष्क, पृथ्वी जबड़ा, विद्युत जीभ, वायु दांत और देवताओं के गुरु बृहस्पति इसके अंग हैं। इस तरह यह स्पष्ट है कि गौ में सारे देवताओं का वास है। अत: जिन देवताओं का पूजन हम मंदिरों व तीर्थों में जाकर करते हैं वे सारे देवता समूह रूप से गौ माता में विराजमान हैं। इसलिए निर्लिप्त भाव से पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए व्यक्ति को नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिए। महाभारत कहता है-
यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नर:।
तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च।।

 

अर्थात सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है, वह फल गौ माता को चारा डालने से सहज ही प्राप्त हो जाता है।

 

नित्य दें गौ ग्रास 
विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार व्यक्ति के किसी भी अनिष्ट की निवृत्ति के लिए गौ माता के पूजन का विधान किया गया है। अनेक तरह के अरिष्टकारी भूचर, खेचर और जलचर आदि दुर्योग उस व्यक्ति को छू भी नहीं सकते जो नित्य या तो गौ माता की सेवा करता है या फिर रोज गौ माता के लिए चारे या रोटी का दान करता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन भोजन से पहले गौ माता को ग्रास अर्पित करता है, वह सत्यशील प्राणी श्री, विजय और ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेता है। जो व्यक्ति प्रात:काल उठने के बाद नित्य गौ माता के दर्शन करता है, उसकी अकाल मृत्यु कभी हो ही नहीं सकती, यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ कही गई है।

Advertising