Secrets of Happy and Healthy Life: जानें, स्वस्थ और सुखी जीवन का राज

Saturday, Mar 11, 2023 - 09:59 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

The secrets to living a longer: ‘जहरीले सांप के काटने से मृत्यु हो जाती है, परंतु चिंता व्यक्ति को तिल-तिल कर मारती है। उदास, चिंतित, अवसादग्रस्त व्यक्ति कुछ भी कर ले, स्वयं को नष्ट कर लेता है।’

भगवान वाल्मीकि के इन कथनों से एक बात तो सुनिश्चित है कि चिंता मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अतीव हानिकारक होती है, अनेक रोग शरीर को घेर लेते हैं। उदर व्रणों (अल्सर) के लिए तो यह विशेष रूप से उत्तरदायी है। 1956 ई. में रूसी वैज्ञानिक अनेक शोधों के उपरांत इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अल्सर का मूल कारण चिंता है। निरंतर भय, तनाव और चिंता का शरीर पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ता है। शरीर में विद्यमान प्रतिरोधात्मक श्वेत रक्त कोशिकाएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। इसके विपरीत सकारात्मक सोच, प्रसन्नता, मानसिक शक्ति से श्वेत रक्त कोशिकाओं में आश्र्चजनक रूप से वृद्धि होती है। नकारात्मक सोच हानिकारक होती है। चिंता बढ़ने से अल्सर से खून बहने लगता है।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

भय से चिंता उपजती है, जिससे व्यक्ति उद्विग्न व निराश हो जाता है। पेट की नसों पर प्रभाव पड़ता है और पेट के अंदर वातद्रव्य विषम हो जाते हैं और उदर व्रण उत्पन्न हो जाते हैं। दार्शनिक प्लेटो के अनुसार, चिकित्सक सबसे बड़ी भूल यह करते हैं कि वे मस्तिष्क का उपचार न कर केवल शरीर का ही उपचार करने में प्रयत्नशील रहते हैं, जबकि शरीर और मस्तिष्क परस्पर जुड़े हुए हैं। इनका उपचार एक-दूसरे से पृथक नहीं किया जाना चाहिए।

मेयोक्लीनिक में किए गए शोध के आधार पर डा. एल्वेयरस ने इस बात को प्रमाणित कर दिया। उन्होंने उदर रोगों से पीड़ित लगभग 15,000 रोगियों का अध्ययन किया, उनके दर्द को जानने का प्रयास किया। एक रोचक तथ्य सामने आया, 12,000 रोगियों की पीड़ा का मूल उनके मस्तिष्क में था न कि शरीर में। चिंता, भय, असुरक्षा की भावना, ईर्ष्या तथा परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढाल न पाना, सब मिलकर उनके दर्द का कारण थे। उनके अनुसार उदर व्रण मनोवेगों के उतार-चढ़ाव के साथ घटते-बढ़ते रहते हैं।

डा. जान ए. शिंडलर ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। बीस साल तक उन्होंने इस क्षेत्र में अनगिनत रोगियों का उपचार किया और चिंता, तनाव व उद्विग्नता के कारण होने वाली क्षति का लेखा-जोखा रखा। अपने विशद अनुभव के आधार पर उन्होंने रोगियों को नकारात्मक विचारों से मुक्त कराने में सहायता की। उनके अनुसार, अधिकांश लोग नकारात्मक विचारों में उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभावों से अनभिज्ञ होते हैं। चिंता, भय से मुक्त होने पर ही स्वस्थ, सुखी जीवन जी सकते हैं।

उपाय : चिंता किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को रोगी बना सकती है। अत: चिंता मुक्त रहने के लिए आवश्यक है कि वर्तमान में जिएं, भूत-भविष्य के बारे में सोचना बंद कर दीजिए।

कार्य आरंभ करने से पहले सावधानीपूर्वक निर्णय लें। निर्णय लेने के बाद सभी चिंताओं से मुक्त हो कर काम में जुट जाएं।

व्यस्त रह कर चिंता को दिमाग से दूर रखें। छोटी-छोटी बातों पर सोचना बंद कर दें। ‘बीती ताहि बिसारिए आगे की सुध लेय’। खुद को व्यस्त रखिए, एकदम व्यस्त।’

जीवन की कटुताओं को भुला कर मधुर क्षणों को याद रखिए।

द्वेष भावना का परित्याग करें, इससे अपना ही अहित होता है।

दूसरों से तुलना मत कीजिए, जो आप हैं, उसी में खुश रहिए।

सत्साहित्य पढ़ कर भी चिंता से दूर रहा जा सकता है।

धैर्य एवं समय दोनों ही अपने ढंग से कठिनाईयों को सुलझा देते हैं। आज की परिधि में रह कर चिंताओं से मुक्ति पाई जा सकती है।

चिंता से मुक्त रहने का सर्वोत्तम उपाय है व्यायाम। चिंतित होने पर दिमाग से काम न लेकर मांसपेशियों से काम लीजिए। व्यायाम करने पर चिंता भाग जाती है।

अपने ऊपर अधिक भरोसा मत कीजिए। अपनी मूर्खतापूर्ण चिंताओं को हंस कर मिटाने का प्रयास कीजिए।


 

Niyati Bhandari

Advertising