Sawan Special: आप भी जाना चाहते हैं शिवलोक तो ऐसे करें तैयारी

Wednesday, Jul 31, 2019 - 09:03 AM (IST)

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शिवपुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं इसलिए जल से उनका अभिषेक के रूप में आराधना का उत्तमोत्तम फल है, जिसमें कोई संशय नहीं है। शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं इसलिए यह समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है जिसे ‘चौमासा’ भी कहा जाता है। तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं। भगवान शिव इसी माह में अपनी अनेक लीलाएं रचते हैं। इस महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है। 

पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र के साथ योग होने पर श्रावण माह का स्वरूप प्रकाशित होता है। श्रावण माह के समय भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।

इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का अभिषेक महाफलदायी माना गया है। इन दिनों अनेक प्रकार से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, जो भिन्न-भिन्न फलों को प्रदान करने वाला होता है। जैसे कि जल से वर्षा और शीतलता की प्राप्ति होती है। दुग्धाभिषेक एवं घी से अभिषेक करने पर योग्य संतान की प्राप्ति होती है। ईख के रस से धन संपदा की प्राप्ति होती है। कुशोदक से समस्त व्याधि शांत होती है। दही से पशु धन की प्राप्ति होती है और शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 

इस श्रावण मास में शिव भक्त ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त करता है तथा शिवलोक को पाता है।

Niyati Bhandari

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