इस गोपनीय मंत्र से करें शिव जी की आराधना, झट से पूरी होगी हर कामना

Sunday, Jul 14, 2019 - 06:14 PM (IST)

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शिव भक्तों का इंतज़ार होने को आया है। ठीक तीन दिन बाद शिव शंकर का सबसे प्रिय सावन का महीना शुरु हो रहा है। वैसे तो भगवान शंकर के भक्तों को उनकी आराधना करने के लिए किसी मौके की या किसी खास दिन की ज़रूरत नहीं लेकिन अगर बात हो सावन के महीने की तो यह महीना तो महादेव के भक्त सारी दुनिया-दारी भूलकर केवल उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस पूरे माह में शिव जी की आराधना भक्ति, संकल्प एवं इच्छा शक्ति को मज़बूत करती है। ज्योतिष में कहा गया है भगवान शिव का स्वरूप सौम्य एवं सरल है। सावन में जिस पर महादेव की कृपा हो जाती है वह परम आनंद को प्राप्त कर लेता है।

धार्मिक आस्था के अनुसार अगर भगवान शिव का स्मरण शुद्ध भाव से किया जाए तो न केवल मनचाहे फल की प्राप्ति होती है, बल्कि भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी पाप, कष्ट एवं दुःख आदि का भी सदा के लिए निवारण होता है। शास्त्रों के अनुसार केवल शिव स्मरण के माध्यम सेनसि माक, आर्थिक व शारीरिक दुःख, परेशानी आदि से छुटकारा प्राप्त किया जाता है। मगर इसके अलावा भी कुछ ऐसे मंत्र है जिनका जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

आइए जानें भोलेनाथ का खास व चमत्कारी मंत्र-
पुराणोक्त शिव मंत्र बहुत ही असरदार एवं शक्तिशाली माना गया है। इस मंत्र की खासियत यह है कि व्यक्ति बिना शिवालय जाए व जल एवं बिल्लव पत्र अर्पित करे भी इसके माध्यम से शुभकारी फल प्राप्त कर सकता है। मान्यता है कि इस अद्भुत शिव मंत्र स्तुति द्वारा हर भक्त मन, प्राण, इन्द्रियों और कर्म को ही पूजा सामग्री के रूप में शिव को समर्पित करता है। इसलिए बिना शिवालय जाए या किसी विवशता में भी इस मंत्र मात्र से अद्भुत भक्ति आशुतोष शिव को जल्द प्रसन्न कर सकते हैं।

मंत्र-
पुष्पाणि सन्तु तव देव ममेन्द्रियाणि।
धूपोगरुर्वपुरिदं हृदयं प्रदीप।।

प्राणा हवीषि करणानि तवाक्षताश्च।
पूजाफलं व्रततु साम्प्रतमेष जीव।।


अर्थ- हे महादेव, आपकी पूजा के लिए मेरी इन्द्रियां फूल बन जाएं। मेरा शरीर सुगन्धित धूप और अरु बन जाए।मेरा हृदय दीप हो जाए, मेरी जीवनशक्ति यानी प्राण हविष और सारी कर्मेन्द्रियां अक्षत बन जाएं। इस तरह मैं आपकी उपासना करता हुआ पूजा का फल प्राप्त करूं। शास्त्रों में भी इस मन्त्र की महत्वता को बताते कहा गया है की यह मन्त्र अत्यन्त शक्तिशाली एवं शीघ्र मनोकामना को पूर्ण करने वाला है। ऋषि मुनि भी अपनी सिद्धियो को प्राप्त करने के लिए इस मन्त्र का उच्चारण करते थे.इस मन्त्र का जाप प्रातः स्नान आदि के बाद किसी शांत एवं एकांत स्थान में करना उपयुक्त माना गया है।इस मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए।


 

Jyoti

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