Kundli Tv- जानें, क्यों भगवान शिव पर लगाई जाती है चिता की भस्म

Tuesday, Aug 07, 2018 - 05:33 PM (IST)

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हर कोई इस बात को जानता है कि सावन का महीना भगवान शिव का सर्वाधिक प्रिय महीना है। इस महीने भोले बाबा को खुश करने के लिए उनके भक्तगण न जाने क्या- क्या करते हैं। कोई सैकड़ों मील कांवड़ लेकर बाबा पर जल चढ़ाने जाता है तो कोई शहद, दूध जैसी चीज़ों से रूद्राभिषेक करता है। यहां तक कि लोग भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनका भस्म से श्रृंगार भी करते हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में रोज़ाना प्रातकालीन आरती चिता की भस्म से करने का विधान है। क्या आपको पता है आखिर क्यों भोलेनाथ का श्रृंगार भस्म से किया जाता है, क्यों चिता की भस्म भोलेनाथ को लगाई जाती है, इसके पीछे की कहानी कुछ इस तरह है। 


एक कथा के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं। वहां बहुत ठंड होती है।कैलाश की ठंड से खुद को बचाने के लिए वह भस्म लगाते हैं। 


एक अन्य कथा के अनुसार जब अपने पति के मान-सम्मान की रक्षा करते हुए देवी सती ने अपने प्राण त्याग दिए तो भगवान शिव सती का शव लेकर चारों दिशाओं में घुमने लगे। श्री हरि विष्णु ने देवी सती के शरीर को भस्म कर दिया। अपने हाथों में भस्म देखकर उन्होंने उसे अपने सारे शरीर पर लगा लिया। 

भस्म का अर्थ है विभूति जिसका अर्थ है ग्लोरी, उस प्राणी की रक्षा, उसकी सेहत की हिफाज़त, बुरी शक्तियों से बचाव का एक कवच। जब बुराई का नाश होता है तब उस परम तत्व परमेश्वर शिव से हम मिलन मनाते हैं। कुछ लोग शिव की शक्ति को एक तत्व के रूप में धारण करते हैं। भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर भस्म लगाकर रखते हैं।

भस्म भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लगाई जाती है। जो दुःखों, संतापों का नाश करने वाली होती है। यह मुक्ति प्रदान करती है और जन्म जन्मांतर से छुटकारा दिलवाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भस्म धारी पर जीव-जन्तु, कीड़े-मकोड़े तथा गर्मी के मौसम में इनका कोई भी बुरा प्रभाव नहीं ‍होता। 


सन्त महात्मा धमनी की भभूति काया में रमाते हैं जिसे भस्मी स्नान कहते हैं और भस्मी युक्त रहते हैं। कहते हैं कि भगवान शिव जी ने माया स्वरूपी दादा मत्स्येन्द्रनाथ जी के ऊपर भस्मी डालकर भस्मी स्नान कराया था। 

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Niyati Bhandari

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