Sawan somvar vrat- सावन सोमवार व्रत में रखें इन बातों का ध्यान तभी मिलेगा पूरा पुण्य-लाभ
punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Shravan Somwar Vrat- सावन माह का आरंभ 11 जुलाई 2025 शुक्रवार से होने जा रहा है। इस समय सुख-दुख, हानि-लाभ सब भगवान शिव के अधीन होते हैं। गिरिजापति कभी भी अपने उपासकों को दुखी नहीं देख सकते इसलिए भगवान भक्तों की सारी चिंताओं को हर लेते हैं। अगर आप भी चाहते हो कि भोलेनाथ आपकी सारी परेशानियां दूर करें तो सावन में सच्चे मन के साथ महाकाल के प्रिय माह में उनकी उपासना करना शुरू कर दें। आप भी सावन सोमवार व्रत कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखकर पुण्य-लाभ काम सकते हैं।
Sawan Monday Fasting Method सावन सोमवार व्रत विधि:
प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी व शक्कर से अभिषेक करें।
बेलपत्र, आक, धतूरा, सफेद फूल, भस्म आदि अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” का जप करें और कथा सुनें।
दिन भर उपवास करें और शाम को आरती करें।
Sawan somvar vrat- सावन माह में सोमवार के दिन जो भी पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है, वो उनका विशेष आशीर्वाद पा लेता है। व्रत करने से हर व्रती को दु:ख, कष्ट और परेशानियों से छुटकारा मिलता है और वह सुखी, निरोगी और समृद्ध जीवन का आनन्द प्राप्त करता है। इस दिन व्रत करने से बच्चों की बीमारी दूर होती है, दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है, मनचाहा जीवनसाथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है, साथ ही भक्त का आध्यात्मिक उत्थान भी होता है।
Do not do these things in the month of Savan सावन माह में न करें ये काम
ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें। समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। ताजा दूध ही प्रयोग में लाएं, डिब्बा बंद अथवा पैकेट का दूध अर्पित न करें।
Keep these things in mind during Sawan Monday fast सावन सोमवार व्रत में रखें इन बातों का ध्यान
व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए।
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचिलत है। तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।
मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र।
शिव-पार्वती की पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा करें।
आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर-परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।
दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें।
श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।