Sawan 2022: शिवलिंग पर शंख से चढ़ाते हैं जल तो हो जाएं सावधान!

Thursday, Jul 21, 2022 - 01:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रावण मास में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ते वो हर तरह से उनकी कृपा पाने का प्रयास करते हैं, क्योंकि धार्मिक शास्त्रों में इस मास को शिव जी का प्रिय मास माना गया है। जिस कारण इस मास में की जाने वाली पूजा-अर्चना का फल दोगुना प्राप्त होता है। परंतु यही पूजा करने में अगर किन्हीं प्रकार की गलतियां हो जाएं तो पूजा निष्फल हो जाती है। जी हां, कहा जाता बेशक शास्त्रों में भोलेनाथ के बारे में ये वर्णन किया गया है कि ये अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। जिसके चलते शिव भक्त अपने मन के अनुसार इनकी उपासना करने लगते हैं जो ठीक नहीं माना जाता है। अक्सर लोग शास्त्रों में वर्णित उपरोक्त बात को ओर ध्यान देते हैं। परंतु बता दें शास्त्रों में उन वस्तुओं व कामों के बारे में भी उल्लेख किया गया जिन्हें करने से देवों के देव महादेव अपने भक्तों पर रुष्ट हो जाते हैं। जिसे ज्यादातर लोग इस बात को नजरअंदाज करते हैं, जिसके नतीजा ये होता है न तो जातक को पूजा का फल मिलता है न ही भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में ऐसी ही जानकारी देने जा रहे हैं जिसमें हम आपको बताने जा रहे हैं कि खासतौर श्रावण मास में प्रत्येक व्यक्ति को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।  

बता दें शास्त्रों में कुछ ऐसी वस्तुओं का वर्णन किया गया है, जिनको शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित माना गया है तो वही अगर आप इन वस्तुओं का प्रयोग करते हैं तो आपके किस्मत के द्वार बंद हो जाते हैं। ऐसे में इस बारे में जानकारी का होना बेहद आवश्यक है कि कौन सी हैं वो चीजें जिनका भूलकर भी शिव पूजन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तो आइए जानतें हैं- 

शिवपुराण की कथा के अनुसार केतकी फूल में ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था। जिससे नाराज होकर शिव जी ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल कोअर्पित नहीं किया जाएगा।. इसी श्राप के कारण शिवलिंग पर केतकी के फूल चढ़ाना अशुभ माना जाताहै। तो ऐसे में आप भी भूलकर भी भोलेनाथ को केतकी के फूल अर्पित न करें।

मान्यता है कि भगवान विष्णु के उपासना तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं होती। तो वही भगवान शिव की पूजा में तुलसीको वर्जित माना गया है। क्योंकि मान्यता है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वधकिया था। इसलिए तुलसी ने महादेव को अपने दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित करदिया था।

तो वहीं सावन माह में जब भी भगवान शिव का पूजनकरें तो उन्हें खंडित चावल यानि कि टूटे हुए चावल अर्पित न करें क्योंकि टूटे हुए चावल अपूर्ण और अशुद्ध माने गए हैं। इसलिए शिवलिंग कभी भी खंडित चावल नहीं चढ़ाते। बता दें कि शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर अखंडित और धुले हुए चावल अर्पित करने से भक्त को धन की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर भक्तिभाव से एक वस्त्र चढ़ाकर उसके ऊपर चावल रखकर समर्पितकरना और भी ज्यादा उत्तम माना गया है।

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इसके अलावा भूलकर भी भगवान शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री से संबंधित माना गया है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है ऐसे में शिव जी की पूजा में हल्दी का उपयोग करने से पूजा काफल नहीं मिलता है। जिस वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। ये भी मान्यता है कि हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है।

शिव जी की पूजा में न तो शंख बजाया जाता है न ही शंख से उनका जलाभिषेक किया जाता है क्योंकि मान्यता है कि दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता बहुत परेशान थे। तो भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से उसकावध किया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया, उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई। इसलिए कभी भीशंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।

इसके अतिरिक्त बता दें कि सुहागिन स्त्रियां अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं और देवी-देवताओं को अर्पित करती है। लेकिन शिव तो वैरागी हैं, जो अपने पूरे शरीर पर राख लगाते हैं। तो ऐसे में सावन के पवित्र माह मेंभगवान शिव की पूजा में कभी सिंदूर और कुमकुम को शामिल न करें।

 

Jyoti

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