श्रावण मासिक शिवरात्रि: यहां जानें शिव जी को प्रसन्न करने का सरल तरीका

Sunday, Jul 19, 2020 - 08:24 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
यूं तो भोलेनाथ की पूजा आदि के लिए प्रत्येक दिन शुभ और फलदायी होता है, किंतु 12 महीनों में से इनकी पूजा के लिए सबसे खास महीना श्रावण कहलाता है। मान्यताएं ऐसी प्रचलित हैं कि इस मास में भोलेनाथ धरती पर अवतरित होते हैं और अपने भक्तों की सारी समस्याओं को दूर करते हुए उनकी सारी इच्छाओं को पूरा करते हैं। यही कारण है इस मास में सोमवार के अलावा आने वाले अन्य त्यौहारों आदि की महत्वता बढ़ जाती है। आज 19 जुलाई चतुर्दशी तिथि को श्रावण मास की शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस शिवरात्रि का अन्य मास में आने वाले मासिक शिवरात्रि से कई गुना अधिक महत्व है। इसलिए ज्योतिषी इस दिन के लिए खास तरह की पूजन विधि के साथ-साथ भगवान शिव से जुड़े विशेष प्रकार के उपाय भी बताते हैं। आज श्रावण की शिवरात्रि के खास मौके पर जानते हैं लाल किताब और वास्तु एक्सपर्ट अाशु मल्होत्रा से कि इस शिवरात्रि की किस तरह कुछ कुछ छोटे उपायों से आपको देवों के देव महादेव की कृपा प्राप्त हो सकती है।

श्रावण कृष्ण पक्ष की चौदस महीने की शिवरात्रि को हमारे शास्त्रों में बहुत महत्व प्राप्त है, कयोंकि इस माह में हर तरफ मानसून के कारण सकरात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे पूरी पृथ्वी खुशनुमा हो जाती है। 

परंतु जो लोग अपने जीवन में निराश है और किसी भी तरह की समस्या के कारण हार मान चुके हैं और वो इस समय का लाभ नहीं उठा पा रहे, वैवाहिक जीवन को लेकर हो परेशान है, शादी में देरी हो रही है, पढ़ाई, बीमारी, घरेलु वाद विवादों आदि के कारण मानसिक रूप से परेशान है तो वो आज श्रावण शिवरात्रि का व्रत और विधि वत भगवान शंकर और देवी पार्वती का पूजन करें।

प्रातः स्नान आदि करके शिव मंदिर में जाएं और महादेव को पांच तरह के फ़ल, मिठाई और पंचामृत चढ़ाएं। बता दें पंचामृत गंगा जल, दूध, दही, घी और गुड़ से निर्मित होना चाहिए। इससे आप पर भोलेनाथ जी की कृपा को होगी ही साथ ही जिनके उपर शनि साढ़ेसाती या राहु और केतु का प्रकोप है वो भी दूर होगा। ध्यान रहे इन दोषों के मुक्ति पाने के लिए उपरोक्त बताई पंचामृत की सामग्री से शिव मंदिर की सफ़ाई करना भी लाभदायक होता है।  

इसके अलावा अगर घर में किसी तरह का वास्तु दोष हो तो इस दौरान घर में धतूरे का पौधा, तुलसी का पौधा व भगवान शिव के लिंग रूप यानि शिवलिंग को स्थापित कर सकते हैं। मगल ध्यान रहे वास्तु में बताया गया है जिस स्थान पर शिवलिंग स्थापित होता है, भूल कर भी उससे पूर्व दिशा की ओर मुख करके नहीं बैठना चाहिए, वरना पूजा सफल नहीं होती। 

Jyoti

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