दूध ही नहीं यहां झाड़ू से भी होते हैं शिव शंकर प्रसन्न, त्वचा संबंधी रोगों का करते हैं नाश

Thursday, Jul 23, 2020 - 05:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज तक आपने भगवान शंकर के बहुत से मंदिर आदि के बारे में सुना होगा बल्कि इनमें से कई धार्मिक स्थलों के तो आपको दर्शन करने का मौका भी मिला होगा। इन तमाम स्थलों पर एक सामान्य बात आप सब ने यकीनन गौर किया होगा कि भगवान शंकर के प्राचीन मंदिरों में इनके विग्रह के साथ इनका लिंग रूप यानि शिवलिंग भी स्थापित होता है। जिसके दर्शन करने आने वाले लोग इन पर दूध, दही, शहद आदि चढ़ाते हैं क्योंकि धार्मिक शास्त्रों के साथ-साथ ज्योतिषी भी बताते हैं कि इन चीज़ों को अर्पण करने से देवों के देव महादेव अति प्रसन्न होते हैं। मगर क्या आप जानते हैं एक ऐसा मंदिर जहां शिव जी को प्रसन्न करने के लिए झाड़ू अर्पित किया जाता है। जी हां, शायद आप में से काफी लोग इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे। तो उन लोगों को बता देते हैं हम इस मंदिर से जुड़ी तमाम तरह की जानकारी लाएं हैं। 

दरअसल जिस शिव मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मुरादाबाद-आगरा राजमार्ग पर सदत्बदी गांव में स्थित अतिप्राचीन पातालेश्वर मंदिर की। जी हां, यहां की प्रचलित लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में शिवलिंग पर झाडू चढ़ाने से मनुष्य के अपने-अपने बड़े से बड़े रोगों से छुटकारा मिलता है। यही कारण आम दिनों में भी श्रद्धालुओं से भरा इस मंदिर में श्रावण के खास मौके भक्तों की भीड़ और बड़ जाती है। हालांकि  इस बार कोरोना के कारण इस मंदिर के साथ-साथ देश के अन्य मंदिर भी बंद है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास जानकारी-  

बता दें इस मंदिर से जुड़ी कोई स्पष्ट जानकारी तो प्राप्त नहीं, मगर यहां की प्रचलित मान्यताओं की मानें तो सदियों पहले यहां एक भिखारीदास व्यापारी रहता था, जो बहुत धनवान था। मगर चर्म रोग से पीड़ित था। किंवंदतियों के अनुसार एक बार व्यापारी  उपचार करवाने के लिए किसी वैद्य के पास जा रहा था। तभी अचानक से उन्हें बहुत तेज़ प्यास लगी, उन्हें एक आश्रम दिखाई दिया पानी पीने की इच्छा से वे उसके अंदर चले गए। किंतु जाते-जाते भिखारीदास आश्रम में रखे एक झाड़ू से टकरा गए। ऐसा कहा जाता है कि झाड़ू के स्पर्श मात्र से ही उन्हें अपने सभी रोगों से मुक्ति मिल गई। 

जिसके बाद व्यापारी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अपने रोगों से छुटकारा पाने के बाद व्यापारी ने आश्रम मे रहने वाले संत को  हीरे-जवाहरात देने की इच्छा प्रकट की, मगर संत ने इसके लिए मान करते हुए कहा कि इसके बदले में अगर आप यहां शिव मंदिर का निर्माण करवा दें तो बहुत अच्छा रहेगा। जिसके बाद व्यापारी वहां मंदिक का निर्माण करवाया, जिसे आज की तारीख़ में पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। तथा इसी के साथ यहां लोगों द्वारा झाड़ू चढ़ाने की पंरपंरा प्रचलित हई।

Jyoti

Advertising