Sawan 2020: सावन में व्रत रखने के कुछ नियम, विवाह में आ रही बाधा भी होती है दूर

Saturday, Jul 11, 2020 - 05:54 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सावन के महीने का हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह में भगवान शंकर के साथ-साथ उनकी अर्धाांगिनी देवी पार्वती की पूजा का भी अधिक महत्व माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इनकी दोनों को पूजा से जहां एक तरफ़ जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है तो वहीं वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं जिनकी शादी में किसी भी तरह की परेशानी आ रही होती है अगर वो श्रद्धा विश्वास रखते हुए शिव जी की पूजा करते हैं उनकी शादी के योग बन जाते हैं। तो आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस माह का महत्व तथा अन्य जानकारी। 

सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व-
ज्योतिषियों द्वारा बताया जा रहा है इस साल सावन में अद्भुत संयोग बना है, इसकी शुरूआत ही सोमवार से हो हुई तथा अंत भी सोमवार के दिन ही होगा। साथ ही बता दें इस बार श्रावण के इस महीने में कुछ पांच सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 जुलाई को, तीसरा 20 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को और पांचवां व अंतिम सोमवार 3 जुलाई को है। इसी दिन सावन माह भी समाप्त होगा। मान्यताएं हैं सोमवार का दिन शिव जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। तो ऐसे में सावन में आने वाले सभी सोमवार खुद ही खास हो जाते हैं। जो अविवाहित लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत करती हैं तथा विधि-विधान से शिव जी पूजा-अर्चना के साथ-साथ इस दिन की व्रत कथा पड़ती हैं, भगवान शिव की कृपा से विवाह के योग बनने लगते हैं। 

सावन से जुड़ी पौराणिक कथा-
शास्त्रों की मानें तो सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियां का छुटकारा हो जाता है। तो वहीं जो व्यक्ति इनका जलाभिषेक करता है , उसक समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। 

एक पौराणिक किंवदंति की मानें तो सृष्टि को बचाने के लिए देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले विष को शिव जी ने पी लिया था। इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी। 

व्रत की पूजा विधि-
जल्दी उठकर नित्यक्रिया के बाद गंगाजल मिले पानी से स्नान करें, सबसे पहले सूर्य देव को हल्दी तथा अक्षत मिले जल से अर्घ्य दें। 
इसके बाद शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।
इसके अलावा दूध, दही, शहद, घी आदि से भी अभिषेक कर सकते हैं। ध्यान रहे जलाभिषेक करते हुए लगातार ॐ नम: शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहें। 
पूजा सामग्रियों में सफ़ेद फूल, बिल्व पत्र, मदार के फूल, शमी के पत्ते, भांग और धतूरा शामिल करें, तथा ध्यान रहे देवी पार्वती के साथ ही शिव जी की पूजा करें और पूजा के अंत में शिव चालीसा का पाठ भी करने के बाद शिव आरती ज़रूर करें।

Jyoti

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