Sawan 2019: रिश्तों में मिठास बनाए रखने के लिए करें शिव मूर्ति व्रत

Monday, Jul 15, 2019 - 12:31 PM (IST)

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कुछ पवित्र स्थानों पर शिव भक्त अपनी क्षमता के अनुसार किसी एक सोमवार या महीने के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ यात्रा करते हैं और शिव की पिंडी पर कांवड़ में चढ़ाया हुआ जल चढ़ाते हैं। यह यात्रा बिना जूतों के पैदल तय की जाती है। यह व्रत श्रावण के चौथे सोमवार को सम्पन्न होता है। इस अवसर पर पवित्र स्थानों पर लोगों को भोजन कराया जाता है। इस व्रत का पालन करने से देवता शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है। कुछ महिलाएं इस मास में शिव मूर्ति व्रत का पालन करती हैं।

शिव मूर्ति व्रत 
इस व्रत का पालन करने के लिए विवाह के बाद पहले पांच वर्षों तक विवाहित महिलाएं प्रत्येक श्रावण सोमवार को एक समय भोजन करती हैं और शिवलिंग की पूजा करती हैं। जो महिलाएं मंदिर में नहीं जा सकती हैं, वे संकल्प लेकर इस अनुष्ठान को घर पर ही कर सकती हैं। अनुष्ठान के समय शिवपिंडी पर एक विशिष्ट अनाज चढ़ाया जाता है।

इस अनुष्ठान का पालन करने पर व्रती के वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है, जीवनसाथी से स्नेह अधिक मिलता है, पुत्र, पौत्र जन्म लेते हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है। व्रत की शुभता से आराधक का कल्याण होता है, दीर्घायु प्राप्त होती है और आनंद की प्राप्ति के साथ सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। 

व्यक्ति को प्रत्येक श्रावण सोमवार को इस प्रकार शिव मूर्ति में एक विशिष्ट अनाज चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए। शिव पिंडी पर निम्न अनाज अर्पित करने का विधि-विधान है-पहले सोमवार चावल का उपयोग शिवमूर्ति के लिए किया जाता है। 

दूसरे सोमवार सफेद तिल।

तीसरे सोमवार के दिन शिव मूर्ति पर हरे चने अर्पित किए जाते हैं।

चौथे सोमवार के दिन शिवमूर्ति पर अनाज अर्पित किया जाता है। 

यदि किसी श्रावण मास में पांच सोमवार हों तो पांचवें सोमवार के दिन शिवपिंडी पर जौ अर्पित किए जाते हैं।

Niyati Bhandari

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