Sawan 2022: शिव जी की पूजा करते समय महिलाएं जरूर धारण करें ये चीज़ें नहीं तो...

Thursday, Jul 14, 2022 - 02:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रावण का मास आरंभ हो गया है, समाज में इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित है। इन्हीं में से एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि खासतौर से श्रावण मास में महिलाओं को शिव जी पूजा करते समय किन चीज़ों को धारण करके रखना चाहिए। यूं तो आप में से कई ऐसे लग होंगे जिन्होंने अपने बड़े-बुजुर्गों से इस बार में सुना होगा कि महिलाओं को प्रत्येक तीज-त्यौहार पर 16 श्रृंगार करना चाहिए। क्योंकि श्रृंगार न केवल एक महिला की खूबसूरती में चार चांद लगाता है बल्कि इसका शिव जी से बेहद गहरा संबंध माना जाता है।  जरा ठहरिए कहीं ऐसा तो नहीं कि आप इस बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं रखते हैं और आप निराश हो रहे हैं। तो आपको बता दें निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। जी हां क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको इसी संदर्भ में जानकारी देने जा रहे हैं कि कि भोलेनाथ का श्रृंगार से क्या संबंध है और महिलाओं को किन चीज़ों को धारण किए बिना इनकी पूजा नहीं करनी चाहिए। 

धार्मिक मान्यताओं व ग्रंथों के अनुसार दरअसल महिलाओं के लिए जितना ज़रूरी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना है। उतना ही ज़रूरी देवी पार्वती की कृपा भी है। इस वीडियो में हम ऐसी कुछ ख़ास जानकारी देंगे। जो सावन के माह में आपके बहुत काम आएगी। देवी पार्वती की महिमा पाने के लिए सावन के महीने में ये चीज़ें ज़रूर करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी सुहागिन के श्रृंगार में सिंदूर और बिंदी बहुत मायने रखती है। इनके बिना स्त्री का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। इसके साथ ही मांग भरने के लिए जो सिंदूर प्रयोग में लाया जाता है, कई स्त्रियां उसी को बिंदी के रुप में लगाती हैं। कहते हैं श्रावण माह में हर महिला को सुबह नहाने के बाद ये श्रृगांर करना चाहिए, उनके घर में कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती। जैसे कि हर शादीशुदा महिला को काजल और मेहंदी लगाना अच्छा नहीं लगता, लेकिन बहुत सी महिलाएं ये नहीं जानती कि काजल सिर्फ आंखों की खूबसूरती तो बढ़ाता ही है साथ ही उन्हें बुरी नज़र से भी बचाकर रखता है। 

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वहीं मेहंदी का रंग पति के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शादीशुदा के साथ-साथ कुवांरी लड़कियों का भी सावन में मेहंदी का प्रचलन काफी ज्यादा है। मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है ताकि वो शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले। पैरों के अंगूठे और छोटी अंगुली को छोड़कर बीच की तीन अंगुलियों में चांदी का बिछुआ पहना जाता है।  साथ में चांदी की पायल भी पैरों में पहनने का रिवाज़ है। पुराने समय में नथ पहनना ज़रूरी माना जाता था लेकिन आज के टाइम में केवल छोटी सी नोज़पिन पहने का रिवाज़ चल पड़ा है, जिसे लौंग कहा जाता है।  इसे पहनना एक अच्छा शकुन माना जाता है।

इसी तरह जो मैरिड लेडीज़ मंगलसूत्र नहीं पहनती उन्हें सावन में इसे ज़रूर पहनना चाहिए। इसी तरह बाजूबंद और चूड़ियां भी 16 श्रृंगार का बहुत अहम हिस्सा माना जाता है। सावन में कुंवारी और विवाहित दोनों को लाल और हरे रंग की चूड़ियां जरुर पहननी चाहिए। इससे प्रसन्न होकर भगवान उन्हें अच्छा मनचाहा जीवनसाथी मिलने का वरदान देते हैँ। तो वहीं सावन में कमरबंद पहनना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए सावन में कमरबंद पहनना चाहिए।
 

Jyoti

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