Saturn transit 2022: कर्क राशि वालों के लिए कैसा रहेगा शनि का राशि परिवर्तन !

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 09:45 AM (IST)

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Shani transit 2022: शनिदेव इस साल यानी साल 2022 में दो बार अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। शनि देव हर अढ़ाई साल के बाद अपनी राशि बदलते हैं और ज्योतिष के राशि चक्र की सभी 12 राशियों के भ्रमण में 30 साल लगाते हैं। एक राशि में अपना सफर पूरा करने के बाद शनि देव को उसी राशि में आने में 30 साल लग जाते हैं।

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शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को सुबह 7 बजकर 52 मिनट पर मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 साल बाद अपनी कुम्भ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं और उनके कुंभ में प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जायेगी। साथ ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।

29 अप्रैल 2022 को शनि देव कुंभ राशि में आने के बाद सभी 12 राशियों को प्रभावित करेंगे। इस बार विलक्षण संयोग भी बन रहा है कि 29 अप्रैल को मकर राशि से कुंभ राशि में जाने के अढाई महीने बाद 12 जुलाई 2022 को फिर उल्टी गति चलते हुए यानी वक्री अवस्था में शनिदेव फिर से मकर राशि में आ जाएंगे और 17 जनवरी 2023 तक मकर राशि में रहने के बाद फिर से कुंभ राशि में जाएंगे। इस तरह वर्ष 2022 में पहले 29 अप्रैल और फिर 12 जुलाई को शनि के दो बार राशि परिवर्तन से सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में आपको बताया जाएगा।

हमारे ज्योतिष में और नवग्रहों में शनि देव को एक प्रमुख स्थान हासिल है। इन्हें न्याय का देवता और कर्म का कारक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिन पर उनकी क्रूर दृष्टि पड़ती है, उस व्यक्ति की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि हमारे इसी जीवन में शनि हमारे कर्मों के मुताबिक हमें फल देते हैं।

जन्म कुंडली में शनि की शुभ स्थिति जहां लाभ प्रदान करती है, वहीं अशुभ स्थिति जीवन में दिक्कत, परेशानी और आर्थिक संकटों का कारण भी बनती है। यही कारण है कि शनि देव को हर कोई शांत रखना चाहता है और हर कोई शनि की कृपा पाने को लालायित रहता है।

शनि देव नाराज होने पर धन में कमी लाते हैं, धन हानि कराते हैं। जॉब और बिजनेस में दिक्कतें पैदा करते हैं। यहां तक कि कई बार जॉब से भी व्यक्ति को हाथ धोना पड़ता है। इस दौरान रोग भी घेर लेते हैं, दांपत्य जीवन में भी दिक्कतें आने लगती हैं। व्यक्ति की जमा पूंजी नष्ट हो जाती है। कर्ज बढ़ जाता है।

शनिदेव अपनी साढ़ेसाती, ढैया और अपनी महादशा व अंर्तदशा में व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। शनि देव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करने वाले देवता के रूप में जाने जाते हैं।

वैदिक ज्‍योतिष में शनि को सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है और यह एक राशि में अढ़ाई साल तक रहते हैं। यही कारण है कि शनि का प्रभाव व्यक्ति अधिक समय तक रहता है।

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29 अप्रैल 2022 को जब शनि देव अपना राशि परिवर्तन करेंगे तो कर्क राशि वालों के लिए उनका राशि परिवर्तन कैसा रहेगा। कर्क राशि वाले क्या खोएंगे, क्या पाएंगे ..?  उनके जीवन में क्या अच्छा रहेगा ? कहां दिक्कत रहेगी? शनि कर्क राशि वालों को कैसे फल प्रदान करेंगे और कहां सचेत रहना होगा।

कर्क राशि चंद्रमा से संबंधित राशि है क्योंकि चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी हैं। चंद्रमा और शनि की आपस में मित्रता नहीं है और जब भी यह कुंडली में एक साथ बैठते हैं या इन ग्रहों का कंबीनेशन बनता है तो कुंडली में विष दोष बन जाता है। चंद्रमा हमारे मन के कारक भी होते हैं और जो विष दोष बनता है तो कई बार व्यक्ति को बहुत मानसिक बेचैनी होती है और एंग्जाइटी फील होने लगती है। कर्क राशि के लिए शनि मारकेश का रोल भी अदा करते हैं क्योंकि वह सातवें और आठवें भाव के स्वामी हैं।

अभी शनिदेव कर्क राशि वालों के 7वें भाव में गोचर कर रहे हैं।  ऐसे में इस अवधि में आपको वैवाहिक आनंद को लेकर अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है और जीवनसाथी के साथ आपके संबंध इस दौरान बहुत ज़्यादा सौहार्दपूर्ण रहते नहीं दिख रहे हैं। इस अवधि में आप खुद को जीवनसाथी द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने के भाव को महसूस कर सकते हैं। विवाह करने के इच्छुक कर्क राशि के जातकों को इस दौरान अपने जीवनसाथी को ढूंढने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

29 अप्रैल 2022 को शनि आपके अष्ठम भाव में आ जाएंगे। इस भाव में आने से कर्क राशि वालों पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी। शनि का गोचर कुछ परेशानियां भी देगा। शनि जब 29 अप्रैल 2022 को आपकी कुंडली के आठवें भाव में आ जाएंगे तो उनकी दृष्टि कर्क राशि वालों के 10वें,  दूसरे और पांचवें भाव में पड़ेगी और इन सभी भावों को शनिदेव प्रभावित करेंगे ।

कुंडली का दशम भाव राज दरबार स्थान होता है। पिता स्थान होता है और नौकरी का स्थान होता है। शनि देव इस भाव को प्रभावित करेंगे। पिता की सेहत प्रभावित हो सकती है। पेशेवर समस्याओं में इजाफा होता दिख रहा है। इस दौरान आपके कर्मचारी या सहयोगी आपके खिलाफ़ कोई साजिश रच सकते हैं। इस दौरान निजी जीवन में भी आपके और आपके साझेदार या जीवनसाथी के बीच आपके मित्रों या फिर रिशतेदारों की वजह से ग़लतफ़हमियां पैदा हो सकती हैं।

कुंडली का दूसरा भाव संचित धन और सुख का स्थान होता है। शनि देव की दृष्टि संचित धन में थोड़ी कमी ला सकती है और थोड़ा आर्थिक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। शनि की दृष्टि पांचवें भाव पर भी पड़ेगी और पांचवा भाव प्रेम, शिक्षा,  ज्ञान और पेट से संबंधित है। आप अपने आप को अकेला महसूस कर सकते हैं। थोड़ा तनाव में भी रहेंगे। लव पार्टनर के साथ भी थोड़ा गलतफहमी हो सकती है।

शनिदेव और ढाई महीने तक यानी 29 अप्रैल से 12 जुलाई तक कर्क राशि वालों की कुंडली में अष्टम स्थान पर रहेंगे और 12 जुलाई को एक बार फिर से वह सप्तम भाव में आ जाएंगे। शनि के सातवें भाव में वापिस गोचर करने से यह समय आपके वैवाहिक जीवन के दृष्टिकोण से अनुकूल रह सकता है। विवाहित कर्क राशि के जातकों के वैवाहिक जीवन में चल रहे पुराने मतभेद इस अवधि में ख़त्म हो सकते हैं। जो लोग कुंवारे हैं, उन्हें अच्छे रिश्ते आएंगे और शादी के बंधन में भी बन सकते हैं।  रिलेशनशिप में भी नई ताज़गी आएगी।

उपाय: शनिवार को ज़रूरतमन्द और ग़रीब लोगों को चप्पल और काले कपड़े दान में दें। किसी गरीब महिला को शनिवार के दिन काले रंग का कपड़ा दान करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। प्रत्येक शनिवार शनिदेव का दान करें. इस दौरान कमजोर व्यक्तियों का अपमान न करें। जरूरमंत व्यक्तियों की मदद करें। काली चीजों का दान करें और अनैतिक कार्यों से दूर रहें।       

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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