Sarva Pitru Amavasya 2025: शिव पूजा से होगा पितृ दोष का नाश, सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये उपाय
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 05:00 AM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन पितृओं की पूजा-अर्चना करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर पितृ दोष का प्रभाव खत्म होता है। पितृ दोष के कारण जीवन में अनेकों परेशानियां, जैसे कष्ट, रोग, आर्थिक तंगी, विवाह संबंधी दिक्कतें, आदि उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए इस दिन विशेष रूप से शिवजी की पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इस दिन पितृ तर्पण, दान-धर्म, तथा विशेष पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किये गए कार्यों से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
सर्वपितृ अमावस्या पर शिव पूजा विधि
शुभ मुहूर्त और स्थान का चयन: पूजा के लिए शुद्ध और साफ स्थान का चयन करें। सुबह के समय या सूर्यास्त के समय पूजा करना श्रेष्ठ होता है।
शिवलिंग की स्थापना: यदि संभव हो तो पूजा के लिए शिवलिंग रखें। यदि शिवलिंग न हो तो शिव जी की तस्वीर या मूर्ति भी रख सकते हैं।
शुद्ध जल से अभिषेक: शिवलिंग या शिव प्रतिमा का जल, दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करें।
धूप और दीप: भगवान शिव को धूप और दीप अर्पित करें।
ध्यान और मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार इस मंत्र का उच्चारण करें।
पुष्प अर्पण: बिल्वपत्र शिव जी को चढ़ाएं क्योंकि यह उनका प्रिय पत्र माना जाता है। इसके साथ ही सफेद फूल भी चढ़ाएं।
प्रसाद और तर्पण: पूजा के अंत में पितरों के लिए तर्पण करें। इसके लिए गंगा जल का उपयोग करें। इसके साथ ही खीर, दही, या तिल से बने प्रसाद का दान करें।
Offer these things to Shivling शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें
काले तिल: ज्योतिष शास्त्र में काले तिल को बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि आप इसे शिवलिंग पर चढ़ाते हो तो मनचाहा वरदान मिलता है और खासतौर सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन।
बेलपत्र: भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है। यदि आप बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं तो भोलेनाथ तुरंत प्रसन्न होकर खुशियों से आपकी झोली भरते हैं।
साबुत अक्षत: शिव जी को अक्षत अर्पित किया जाता है, तो इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही, यह पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने और उनके संभावित क्रोध को शांत करने का भी एक प्रभावी उपाय माना जाता है।