Sarva Pitru Amavasya: पितरों की आत्मा तक पुण्य पहुंचाने के लिए सर्वपितृ अमावस्या पर करें यह उपाय

Friday, Oct 13, 2023 - 07:24 AM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2023: सबसे पहले तो यह जानना परम आवश्यक है कि सर्वपितृ अमावस्या क्या होती है, ज्योतिष विज्ञान के अनुसार आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले व्यक्ति अपने पूर्वज जो यह धरती लोक छोड़ चुके हैं, उनके निमित्त उनकी आत्मा की शांति के लिये दान, पुण्य कर्म, तर्पण, भंडारा इत्यादि करते हैं। ताकि वह पूर्वज जिस भी लोक में या जिस भी योनि में हैं, उनको उनके अनुजों द्वारा किये गये दान इत्यादि का पुण्य प्राप्त हो सके व उनकी भी गति हो सके। इसे सर्वपितृ अमावस्या ही क्यों कहा गया- कोई भी व्यक्ति जिस भी तिथि को धरती लोक से गमन करता है, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की उसी ही तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है लेकिन किसी कारण हमें वह तिथि याद नहीं रहती या फिर मृत व्यक्तियों की कई पीढ़ियां हो चुकी हैं और उन सभी के श्राद्ध अलग-अलग करना आज के समयानुसार मुश्किल लगता है तो उन सभी का श्राद्ध एक ही तिथि को किया जा सकता है और वह है सर्वपितृ अमावस्या। जिस दिन भूले चूके या जितने भी हमारे पूर्वज मृत हैं उन सभी के निमित्त एक ही दिन श्राद्ध कर्म किया जा सके तो इसी कारण अश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। 

ज्योतिष विज्ञान के रचयिता महर्षि भृगु जी महाराज श्राद्ध के महत्व व आवश्यकता को समझाते हुए कहते हैं कि धरती लोक का एक वर्ष जो कि पितृ लोक के एक दिन के बराबर होता है। अतः इस दिन अपने पूर्वजों के निमित्त जो भी व्यक्ति धरती लोक पर श्राद्ध इत्यादि करते हैं तो इससे उनके पूर्वज जो कि पितृों में परिवर्तित हो चुके हैं। इससे उनकी मानसिक व सूक्ष्म शरीर की तृप्ति होती है और वह प्रसन्न होकर भगवान से अपनी वंश बेल की तृप्ति व तरक्की के लिये प्रार्थना करते हैं। पितरों द्वारा की गई प्रार्थना को भगवान जल्दी स्वीकार कर लेते हैं तथा उनकी वंश बेल को तरक्की, शांति, तंदुरुस्ती, सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति का आर्शीवाद प्रदान करते हैं। 

श्री भृगु जी महाराज यह भी वर्णन करते हैं कि जिनके पितृ प्रसन्न हैं, उनकी वंश बेल भी प्रसन्न व तृप्त रहती हैं और जिनके पितृ अशांत हैं, उनकी वंश बेल भी अशांत और अतृप्त ही रहती है। सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति व अन्य इच्छाओं की पूर्ती के लिये अपने पितरों का आर्शीवाद सदा प्राप्त करना चाहिए। 

Sarva Pitru Amavasya upay: 14 सितंबर 2023 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन एक सूखे नारियल में एक सुराख करके उसमें चीनी, चावल, आटा बराबर मात्रा में मिक्स करके भरें तथा पीपल के वृक्ष के पास गढ़ा खोदकर उसमें इस प्रकार दबायें कि ऊपर से सुराख वाला हिस्सा ही नजर आये ताकि कोई बड़ा जानवर उस नारियल को न निकाल पाए। यह उपाय करने से बहुत सारे कीड़े-मकौड़े इस भंडारे को ग्रहण करेंगे और पीपल वृक्ष को अर्पण करके ही यह कार्य करें क्योंकि श्री कृष्ण जी ने स्वयं कहा है कि - वृक्षों में पीपल का वृक्ष मैं ही हूं। सभी प्रकार के अर्पण श्री विष्णु जी को ही प्राप्त होते हैं और जिस आत्मा के निमित्त वह कर्म किया जाता है, उस आत्मा तक वह पुण्य पहुंचाना श्री विष्णु जी के ही अधीन होता है इसीलिए ही यह उपाय पीपल वृक्ष के नीचे किया जाए तो बहुगुणा प्रभाव बनाता है।

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

 

Niyati Bhandari

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