Birthday Special: सफलता पाने में सहायक हो सकते हैं सरदार वल्लब भाई पटेल के ये अनमोल विचार

Thursday, Oct 31, 2019 - 10:55 AM (IST)

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आज यानि 31 अक्टूबर को स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144 वीं जयंती मनाई जा रही है। इतिहास के पन्नों में आज भी देश की आज़ादी के वक्त दिए योगदान का वर्णन पढ़ने को मिलता है। जिसमें बताया गया है कि भारत देश छोटे-छोटे 562 देशी रियासतों में बंटा हुआ था। कहा जाता है वे सरदार पटेल ही थे जो इन छोटे रियासतों का विलय करवा भारत को एकता के सुत्र में पिरोया था जिसे करना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं थी। इसे अंजाम देने के लिए सरदार पटेल को काफी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने एक के बाद एक रियासत को एक साथ लाने के लिए अपनी सारी बुद्धि और अनुभव का इस्तेमाल किया। भारत को एक राष्ट्र बनाने में वल्लभ भाई पटेल की खास भूमिका है। आइए जानते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचारों के बारे में...

आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।

मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।

शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।

आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।

अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।

आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पात के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।

संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

Jyoti

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